कर्नाटक में हिजाब को लेकर मचे घमासान को लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने मुसलमानों से रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठकर प्रगतिशील विचारों को अपनाने की अपील की है। एमआरएम ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने से ज्यादा जरूरी किताब है। आपको बता दें कि कर्नाटक के कई हिस्सों में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है। शिवमोगा जिले के शिरलाकोप्पा में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन करने और हिजाब हटाने से मना करने पर 58 छात्राओं को निलंबित कर दिया गया। इन सब के बीच एमआरएम को अपनी प्रतिक्रिया दी।
दिल्ली में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रवक्ता शाहिद सईद ने कहा- 'मुसलमानों को सोचना चाहिए कि उनकी साक्षरता दर सबसे कम क्यों है। भारत के मुसलमानों को एक प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि उन्हें किताब की जरूरत है, न कि हिजाब की। उन्हें रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठकर शिक्षा और प्रगति पर ध्यान देना चाहिए। भारत में कुल मुस्लिम आबादी का केवल 2.75 प्रतिशत स्नातक या इस स्तर की शिक्षा से ऊपर है. इनमें महिलाओं का प्रतिशत मात्र 36.65 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक है और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर लड़कों की तुलना में अधिक है।'
शाहिद सईद ने कहा- 'हमें सोचना चाहिए कि हमारे पास स्नातकों का इतना कम प्रतिशत क्यों है जबकि देश में मुसलमानों की आबादी कम से कम 20 करोड़ है। चाहे सरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र, रोजगार में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। और यह अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ किसी पूर्वाग्रह के कारण नहीं है. जब किसी समुदाय में स्नातकों का इतना कम प्रतिशत और स्कूल छोड़ने की दर अधिक होती है, तो यह स्पष्ट है कि इसके सदस्य पीछे रह जाएंगे।'