अतुल अनेजा
नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन ने एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में भारत के उदय की अपनी दृष्टि को सामने रखा, जिसके बारे में तय है कि भारत आने वाले दिनों में आधुनिक दुनिया को आकार देगा।
अपने अतीत की गहराई से बात सामने रखते हुए पीएम मोदी ने उस पवित्र सेंगोल पर सबके ध्यान को आकर्षित किया, जिसे लोकसभा में स्थापित किया गया है।सेनेगोल को आधुनिक भारत की सभ्यता के मूल्यों के साथ मज़बूती के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने पवित्र सेंगोल की उपस्थिति को चोल साम्राज्य से प्राप्त कालातीत मूल्यों से जोड़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ, सेवा का मार्ग, राष्ट्र के मार्ग का प्रतीक माना जाता था। राजाजी और आदिनम के संतों के मार्गदर्शन में यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बन गया … जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी, यह सेंगोल हम सभी को प्रेरित करता रहेगा।“
Watch | PM @narendramodi handed over the historic 'Sengol' by Adheenams before its installed in the new Parliament building.#MyParliamentMyPride pic.twitter.com/T0G5B2SmHq
— Doordarshan National दूरदर्शन नेशनल (@DDNational) May 28, 2023
नए संसदीय भवन का उद्घाटन भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की मूर्ति का निर्माण, सुभाष बोस की इंडिया गेट के पास उनकी आवक्ष प्रतिमा की स्थापना, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने जैसे नए राष्ट्रीय प्रतीकों के रूप में शामिल करने सहित उभरते नये भारत के कई क़दमों की अगली कड़ी है।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने इस विचार को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत सिर्फ़ अनवरत कड़ी नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है- यह एक ऐसा विचार है,जिसे उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित लोकतंत्र के विश्व शिखर सम्मेलन के दौरान भी प्रसारित किया था।
“भारत न केवल एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है… आज भारत वैश्विक लोकतंत्र का भी एक बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ़ एक व्यवस्था नहीं है, यह एक संस्कृति है, एक विचार है, एक परंपरा है।
प्रधानमंत्री ने भारत के लोकतंत्र को इंगित करते हुए देश के लोकतंत्र के बारे में बहुत कुछ कहा।इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि यह एक वैदिक विरासत है, जिसका अर्थ है कि भारतीय लोकतंत्र पश्चिम में निहित नहीं है। “हमारे वेद हमें सभाओं और समितियों के लोकतांत्रिक आदर्शों की शिक्षा देते हैं। गणों और गणराज्यों की प्रणाली का उल्लेख महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है। हमने वैशाली जैसे गणराज्यों को जीकर दिखाया है। हमने भगवान बसवेश्वर के अनुभव मंडप को अपना गौरव माना है। तमिलनाडु में मिले 900 ई. के शिलालेख आज भी सभी को हैरान करते हैं। हमारा लोकतंत्र हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान हमारा संकल्प है। इस प्रेरणा, इस संकल्प का सबसे अच्छा प्रतिनिधि अगर कोई है, तो वो है हमारी संसद।”
15 अगस्त को अपने मौलिक भाषण के दौरान पीएम मोदी ने गुलाम मानसिकता को ख़त्म करने की पांच विशेषताओं के रूप में सूची दी थी, जो अगले 25 वर्षों में एक विकसित भारत के उद्भव का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने भारत की आज़ादी के 75 साल बाद आने वाली चौथाई सदी को अमृतकाल कहा था, जिससे एक विकसित भारत बनेगा।
“ग़ुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खो कर अपनी नयी यात्रा शुरू की। वह यात्रा अनेक उतार-चढ़ावों से गुज़री, अनेक चुनौतियों को पार करते हुए स्वतंत्रता के स्वर्ण युग में प्रवेश कर गयी। आज़ादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए विकास के नये आयाम गढ़ने का अमृतकाल है।
संसद की नई इमारत इस बात का जीवंत प्रतीक है कि 21वीं सदी का नया भारत गुलामी की सोच को पीछे छोड़, अपने प्राचीन गौरव और वैभव को तेजी से हासिल करने में जुटा है। pic.twitter.com/8skZKYqq5P
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2023
प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी प्रतिध्वनित करते हुए वि-औपनिवेशीकरण के एक वैश्विक आंदोलन को जन्म दिया, भारत का निरंतर उत्थान अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली पर एक मौलिक छाप भी छोड़ेगा।
इसके अलावे,उन्होंने कहा कि आज एक बार फिर पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है, भारत के संकल्प को, भारत के लोगों की प्रखरता को, भारत के लोगों के जज्बे को, सम्मान और आशा की दृष्टि से देख रही है। जब भारत आगे बढ़ता है, तो दुनिया आगे बढ़ती है। संसद का यह नया भवन भारत के विकास के साथ-साथ विश्व के विकास का आह्वान करेगा।
प्रधान मंत्री ने कहा कि एक आदर्श बदलाव, पुराने से नए में संक्रमण का प्रतीक यह नया संसद भवन “आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय” का गवाह बनेगा। “यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों को साकार होते हुए देखेगा। यह नई इमारत नए और पुराने के सह-अस्तित्व के लिए भी एक आदर्श है।”
नयी संसद के उद्घाटन को ऐतिहासिक घटना बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का जरिया बनेगा। हर देश की विकास यात्रा में कुछ ऐसे पल आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें समय के माथे पर इतिहास के अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज, 28 मई, 2023 का यह दिन, ऐसा ही एक शुभ अवसर है।”