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एनटीपीसी ने भारतीय सेना के लिए हरित हाइड्रोजन बिजली इकाइयों की स्थापना के समझौते पर हस्ताक्षर किए

एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने भारतीय सेना के प्रतिष्ठानों में बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) मॉडल पर ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए अपनी तरह के पहले एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारतीय सेना के विभिन्न स्थानों को ऑफ़-ग्रिड स्थानों में डीजी सेटों के माध्यम से संचालित किया जाता है। इसके पीछे का उद्देश्य जटिल संचालन, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और डीकार्बोनाइजेशन में तेज़ी लाना है।

एमओयू पर सेना की ओर से श्री मोहित भार्गव, सीईओ (एनटीपीसी आरईएल) और लेफ्टिनेंट जनरल राजिंदर दीवान क्यूएमजी ने हस्ताक्षर किए।

इस समझौता ज्ञापन के दायरे में चरणबद्ध तरीक़े से बिजली की आपूर्ति के लिए हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए संभावित स्थलों की एक संयुक्त पहचान की जायेगी। आधिकारिक बयान में बताया गया है कि एनटीपीसी आरईएल भारतीय सेना के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (सौर, पवन आदि) को भी डिज़ाइन, विकसित और स्थापित करेगा।

यह समझौता देश की रक्षा पंक्ति के लिए ऊर्जा सुरक्षा से समर्थित सीमा सुरक्षा के एक नए युग की शुरुआत है।

यह समझौता ज्ञापन भारतीय सेना द्वारा आधुनिकीकरण के लिए एक उन्नत दृष्टिकोण और एनटीपीसी की अपने डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों में राष्ट्र की सहायता करने की प्रतिबद्धता का संकेत देता है।

भारतीय सेना का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “पंचामृत” और कार्बन न्यूट्रल लद्दाख के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए बिजली उत्पादन और उष्मा के लिए जीवाश्म ईंधन और उनके संचालन पर निर्भरता को कम करना है।

एनटीपीसी आरईएल, एनटीपीसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और इस समय इसके पास निर्माणाधीन 3.6 जीडब्ल्यू आरई क्षमता का पोर्टफ़ोलियो है। एनटीपीसी समूह की वर्ष 2032 तक 60 जीडब्ल्यू आरई क्षमता की महत्वाकांक्षी योजना है और वर्तमान में इसकी स्थापित आरई क्षमता 3.2 जीडब्ल्यू है।

एनटीपीसी ने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को लेकर कई पहल की हैं और पहले ही गुजरात में पाइप लाइन से गुज़रने वाली प्राकृतिक गैस परियोजना के साथ हाइड्रोजन सम्मिश्रण शुरू कर दिया है और इस समय हाइड्रोजन आधारित गतिशीलता परियोजना (लद्दाख और दिल्ली में) और मध्य प्रदेश में हरित मेथनॉल परियोजना को क्रियान्वित कर रही है।