पाकिस्तान में चुनावों की तारीखों को लेकर सरकार और अदालत आ गए हैं आमने सामने। विपक्ष भी अदालत के उस फैसले के साथ खड़ा है जिसमें चुनाव आयोग को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में आगामी 14 मई को चुनाव कराने का आदेश दिया गया था। इस बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक बुलाई है। शहबाज शरीफ (Shahbaz) ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए चुनाव में देरी के लिए सैन्य नेतृत्व का समर्थन हासिल करने के लिए यह बैठक बुलाई है।पाकिस्तान की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रमुख फैसले लेने वाली संस्था’ के रूप में कार्य करने वाली कमिटी की बैठक को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सूत्रों के हवाले से पाकिस्तानी अखबार डॉन ने दावा किया है कि शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक होगी। डॉन की खबर के अनुसार इसमें पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर, चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, वायुसेना और नौसेना प्रमुख, रक्षा, वित्त और सूचना मंत्री शामिल होंगे।
चुनाव प्रचार के लिए स्तिथि ठीक नहीं ?
कुछ अंदरूनी सूत्रों की मानें तो सरकार एक बार फिर शीर्ष अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब में 14 मई को चुनाव होने की स्थिति में आतंकवादियों से संभावित खतरों के बारे में जानकारी देने के लिए कहेगी। खबर के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा कि सैन्य अधिकारियों ने सरकर को जानकारी दी थी कि आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली जिलों में फिर से इकट्ठा हो गए हैं। लिहाजा चुनाव प्रचार के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं।एक अन्य सूत्र ने दावा किया कि मौजूदा हालात को देखते हुए बैठक में देश में ‘आपातकाल लगाने’ के विकल्प पर भी चर्चा हो सकती है। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद के 232 के तहत अधिकतम एक साल की अवधि के लिए, युद्ध और आंतरिक अशांति के कारण आपातकाल लगाया जा सकता है।
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