कोरोना और ओमिक्रॉन ने कहर बरपाया हुआ है। जिसके चलते कई राज्यों में लॉकडाउन, वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का ऐलान करना पड़ा। लेकिन क्या ये फैसले संक्रमण केस को कम करने के लिए कारगर साबित हुए है। इसका खुलासा बेंगलुरु में हुई नई स्टडी में हुआ। भारतीय सांख्यिकी संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया बायोकॉम्पेल्कसीटी इंस्टीट्यूट ने संयुक्त रूप से की गई स्टडी में आया कि नाइट कर्फ्यू और वीकेंड कर्फ्यू के कारण ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण कमी आई है।
ओमिक्रॉन एक अति संक्रामक वेरिएंट है और बिना कोविड-19 प्रतिबंधों के चलते तेजी से फैलता है और लोगों को संक्रमित करता है। जनवरी के पहले हफ्ते में देश भर में कोविड संक्रमितों की संख्या बढ़ी और वीकेंड लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू जैसे प्रतिबंधों को वापस लागू किया गया, लेकिन क्या ये प्रतिबंध वायरस के संक्रमण को रोकने में कामयाब होंगे इस बात पर बहस होने लगी। कई एक्सपर्ट्स ने पूछा कि इन प्रतिबंधों की मदद से वायरस के प्रसार पर किस प्रकार से काबू पाया जा सकता है। इस स्टडी में शामिल शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने गूगल द्वारा प्रकाशित कम्युनिटी मोबिलीटी रिपोर्ट का इस्तेमाल किया और अध्ययन किया।
इस अध्ययन में बताया गया कि, कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण वायरस के प्रसार में कमी आई है और यह संख्या प्रतिबंधों से पूर्व आने वाले मामलों की तुलना में कम है। मेथेमेटिकल मॉडल का उपयोग करते हुए स्टडी में इस बात की पुष्टि हुई कि मोबिलिटी प्रतिबंध लगाने के कारण कोरोना के मामलों में कमी आई और पीक आने के बाद केस घटने लगे। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी कम होने लगी। आपको बता दें कि दिल्ली, मुंबई, गुजरात और केरल के बाद कर्नाटक भी कोरोना संक्रमण के मामले में शीर्ष स्थान पर था। हालांकि अब राज्य में कोविड-19 संक्रमण के मामले कम होने लगे हैं। जिसके बाद सरकार ने कोरोना से जुड़ी सख्तियों को वापस लेने का फैसला किया है।