राष्ट्रीय

सिर्फ 12 रुपये में चीते का शिकार! इस खतरनाक सच्चाई को क्या आप जानते हो

Cheetah History: भारत से वर्ष 1952 में चीते पूरी तरह खत्म हो गए थे। इसके बाद इन्हें विलुप्त घोषित कर दिया गया। लेकिन, अब 70 वर्षों बाद देश में एक बार फिर से चीतों की चपल चाल देखने को मिलेगी। अंग्रेजों ने भारतीय जनमानस को ही गुलाम नहीं बनाया बल्कि भारत के पर्यावरण और पारिस्थितिकी को भी काफी हद तक बर्वाद कर दिया। ऐसा बताया जाता है कि अंग्रेज अपने शौक पूरा करने के लिए चीतों का शिकार करवाया करते थे। अंग्रेजों ने ऐलान कर दिया था कि जो भी शख्स चीता मार कर लाएगा उसे 12 रुपये ईनाम मिलेगा। आजादी से पहले 12 रुपये बहुत बड़ा ईनाम होता था। बारह रुपये कमाने लिए निर्दोष चीतों का शिकार होने लगा। 1948 तक भारत मात्र 3 चीते बचे थे, जिनका शिकार कोरया (छत्तीसगढ़) महाराजा ने कर डाला।

बहरहाल, दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया प्रांत से आठ चीते (Cheetah History) विशेष विमान से भारत लाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर इन चीतों को नेशनल पार्क के क्वारंटाइन सेंटर में छोड़ दिया है। एक निर्धारित समय तक क्वारंटाइन में रहने के बाद इन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। चीतों का धरती पर इतिहास (Cheetah History) काफी पुराना है। एक रिसर्च के अनुसार चीते सबसे पहले साउथ अफ्रीका में करीब 2.6 करोड़ वर्ष पहले देखे गए थे। इसके बाद इनका धीरे-धीरे दूसरे जगहों पर प्रवास शुरू हो गया।

वैज्ञानिकों की माने तो, सबसे पहले चीते हिमयुग में साउथ अफ्रीका में मायोसिन युग में आज से करीब 2.6 करोड़ वर्ष पहले देखे गए। इसके बाद धीरे-धीरे अफ्रीकी महाद्वीप से एशियाई महाद्वीप में इनका प्रवास शुरू हुआ। करीब 1.1 करोड़ वर्ष पहले एशिया में प्लायोसिन युग में इनकी मौजूदगी पाई गई। वैज्ञानिकों के मुताबिक, बिल्ली, चीता, बाग, तेंदुआ और शेर एक ही प्रजाति के प्राणी हैं। जिनमें समय-समय पर परिवर्तन होता गया। जलवायु परिवर्तन के साथ ये सभी प्राणी अपने ठिकाने, जीने के तौर-तरीके बदलते रहे। साथ ही इनमें शारीरिक और अनुवांशिक परिवर्तन भी होते रहा।

चीते की प्रजातियों के बारे में बात करें तो पूरे दुनियां में इनकी कई प्रजातियां हैं। बड़ी बिल्ली परिवार से संबंध रखने वाले चीते  लगभग 5 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आए थे। चीता संकरवर्ण का जानवर है। लेकिन यह दहाड़ता नहीं है। इसकी आवाज बड़ी बिल्ली की तरह होती है। चीते की एक बात और यह कि चीता बाघ-शेर की तरह हमलावर नहीं होता। चीता को थोड़ी सी ट्रेनिंग के बाद पालतू बनाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें- Cheetah in India: 70 साल बाद फिर से भारत में दौड़ते नजर आएंगे चीता

प्रमुख प्रजातियां (दक्षिण अफ्रीकी चीते)

एसिनोनिक्स जुबेटस हेक
एसिनोनिक्स जुबेटस हेक प्रजाती के चीते उत्तर पश्चिमी अफ्रीका के अल्जीरिया, मिस्र, माली, जिबूती, मोरक्को, मॉरीटानिया, ट्यूनीशिया, नाइजर, पश्चिमी सहारा और पश्चिमी अफ्रीका के बुर्किना, बेनिन, घाना, माली, नाइजर, सेनेगल, फासो, घाना, नाइजर में पाये जाते हैं।

एसिनोनिक्स जुबेटस राइनल
एसिनोनिक्स जुबेटस राइनल प्रजाती के चीते पूर्वी अफ्रीका के केन्या, तंजानियां, युगांडा और सोमालिया में पाये जाते हैं।

एसिनो जुबेटस जुबेटस
दक्षिण अफ्रीका के रिपब्लिक ऑफ द कांगो, अंगोला, बोत्सवाना, मोजाम्बिक, मलावी, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, जाम्बिया, जिम्बाब्वे व नामीबिया में एसिनो जुबेटस जुबेटस प्रजाती के चीतों को पाया जाता है।

एसिनोनिक्स जुबेटस सोमेरिंगी
चीतों की ये प्रजाती केंद्रीय अफ्रीकाके चाड, सेंट्रल अफ्रीकी रिपब्लिक, कैमरून, इथियोपिया, नाइजर और नाइजीरिया व सूडान में पाई जाती है।

एशियाई चीते

एसिनोनिक्स जुबेटस वेनाटिकस

इन्हें एशियाई महाद्वीप के भारत, ईरान, ईराक, इजरायल, अफगानिस्तान, जॉर्डन, ओमान, पाकिस्तान, चीन, सऊदी अरब, सीरिया और रूस जैसे देशों में पाया जाता है।

इससे जुड़ी अन्य जानकारी
चीते को धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर माना जाता है, ये 125 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। ये बड़ी बिल्ली की प्रजाति में आने वाले एक ऐसी प्रजाति है, जो बदले वातावरण को जल्दी स्वीकार नहीं करते। इनका पसंदिदा शिकार हिरण, खरगोश, जेब्रा इत्यादि है। मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में 7000 चीते हैं, 4500 चीते अकेले साउथ अफ्रीका में हैं।

भारत से चीतों के विलुप्त होने की वजह
भारत में करीब 450 वर्ष पहले तक 1000 से भी ज्यादे चीते जीवित थे। लेकिन, धीरे-धीरे जलवायु परिवर्तन के चलते और जंगलों के कम होने के कारण इन्हें पर्याप्त शिकार नहीं मिल पाता था। जिसके चलते इनकी कमी होने लगी। फिर अकबर के शासन काल में चीतों को कैद करने का चलन शुरू हुआ, इस दौरान भी इनकी संख्या काफी ज्यादा घट गई। बाकियों को शिकारियों ने मार डाला। वर्ष 1947 में भारत में बचे तीन चीतों को उत्तर कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने शिकार में मार दिया। इसके बाद देश में चीते कभी नजर नहीं आए। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीतों को अपने देश में विलुप्त घोषित कर दिया। तब से भारत चीता विहीन हो गया। लेकिन, अब प्रधानमंत्री की अगुवाई में भारत में फिर से चीते दौड़ते हुए नजर आएंगे।

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago