रहस्यों का मंदिर कहे जाना वाला सोमनाथ मंदिर ने एक बार फिर अपने सीने में छिपाए हुए राज से सबको हैरान कर दिया है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने सोमनाथ मंदिर के रहस्यों का पता लगाने के लिए पुरातत्व विभाग को आदेश दिया था। इस आदेश के बाद यहां 5 करोड़ से ज्यादा लागत की मशीनें लगाई गई। इन मशीनों के जरिए रिसर्च शुरू गई। पहले जेपीआर टेक्निक, रडार, हाई टेक मेटल डिटेक्टर का भी इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों की ये मेहनत रंग लाई और जमीन के नीचे से कंपन महसूस होने लगे। कंपन के आधार पर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने अपनी 32 पन्नों की जांच रिपोर्ट तैयार की। जिसमें कहा गया कि सोमनाथ मंदिर के नीचे तीन मंजिला इमारत है।
इसमें पहली मंजिल ढाई मीटर, दूसरी मंजिल 5 मीटर और तीसरी मंजिल 7.30 मीटर की गहराई में है। सोमनाथ आने वाले श्रद्धालुओं की जहां सिक्योरिटी चेक की जाती है, वहीं पर एक दूसरी इमारत होने की बात भी सामने आई है। जांच में यह बात भी सामने आयी है कि सोमनाथ मंदिर के दिग्विजय द्वार से कुछ दूरी पर ही स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल के स्टेच्यू के आस-पास भी अनेक बौद्ध गुफाएं भी हैं। आपको बता दें कि गुजरात के वेरावल में स्थित सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। ऋगवेद, स्कंदपुराण और महाभारत में भी इस मंदिर की महिमा बताई गई है।
सोमनाथ मंदिर को इतिहास में कई बार खंडित किया गया लेकिन बार-बार पुनर्निर्माण कर सोमनाथ के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश नाकाम हुई। इतिहासकारों के मुताबिक, सोमनाथ मंदिर को 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण कराया गया। कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों ने इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार मुंह की खानी पड़ी। साथ ही कई बार इसका पुनर्निर्माण भी हुआ है। महमूद गजनवी द्वारा इस मंदिर पर आक्रमण करना इतिहास में काफी चर्चित है। वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरम्भ भारत की स्वतंत्रता के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और 01 दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया।