बचपन के दिन होते ही इतने प्यारे हैं जब नन्हे-मुन्ने बच्चे अपनी शरारते करने से बाज नहीं आते हैं। बच्चों की इन्हीं शरारतों पर माता-पिता उन्हें खूब डांट फटकार और कभी-कभी पिटाई भी कर देते हैं। यही वह दिन होते हैं जब बच्चे बिना किसी बात की टेंशन लिए अपनी मस्ती में लगे रहते हैं और उन्हें दुनिया की कोई परवाह होती है। वैसे कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिन्हें छोटी सी उम्र से ही कोई न कोई खेल खेलने की आदत हो जाती है और वह उसी में ही रम जाते हैं। फिर भले ही पेरेंट्स बच्चों की इन्हीं आदत को छुड़वाने के लिए लाख जतन क्यों न कर लें, लेकिन वह मानता नहीं है। मगर ऐसा भी किसी माता-पिता ने कभी नहीं सोचा होगा की उसके बच्चे को हत्या करने वाला खेल पसंद आ जाए और उसी खेलकर उसे ख़ुशी मिलती हो तो यह चिंता वाली बात हो जाती है। ऐसे में शायद ही कोई इस बात पर यकीन करने को तैयार है कि किसी बच्चे को इतनी जोखिम भरी लत आखिर कैसे लग सकती है। लेकिन, यह एक दम सत्य है दरअसल, बिहार के बेगूसराय जिले में साल 2007 में एक ऐसे ही बच्चे की बारे में पुलिस को पता चला था। इस बच्चे को दुनिया का सबसे कम उम्र का साइको किलर कहा जाता है।
आखिर कौन है ये 8 साल का सीरियल किलर?
बिहार के बेगूसराय जिले के पास ही एक मुसहरी गांव है। यहां पर एक शख्स दिहाड़ी मजदूरी कर अपना परिवार चला रहा था। साल 1998 में इसी मजदूर के घर एक बेटे ने जन्म लिया। खास बात अपनी जेनरेशन में परिवार के पहले बेटे के जन्म होने से परिवार वालों में खुशी का ठिकाना ही नहीं था। न केवल माता-पिता बल्कि रिश्तेदार से लेकर पड़ोस में रहने वाले लोग भी बेटे के जन्म से बहुत खुश थे। इस मजदूर ने आपने नन्हे राजकुमार का नाम अमरदीप सदा रखा। लेकिन, अमरदीप दो साल की उम्र से ही गुमशुम रहने लगा था। वह ज्यादा किसी के साथ घुलता-मिलता नहीं था। परिवार और गांव के लोग समझते थे कि अमरदीप गंभीर स्वभाव का बच्चा है और बड़े होकर पढ़ाई लिखाई में नाम रोशन करेगा। लेकिन, भला किसी को भविष्य की खबर ही कहां थी?
'मिनी किलर' ने ऐसे किया बच्चों का कत्ल
जब अमरदीप करीब साढ़े सात साल का हो जाता है। एक दिन उसके पिता और चाचा आदि घरवाले मजदूरी करने के लिए घर से बाहर गए हुए थे। अमरदीप घर के बाहर खेल रहा था। तभी उसने देखा कि पड़ोस में रहने वाले उसके चाचा का आठ महीने का बेटा रो रहा था। मां घर के किसी काम में उलझी थी इसलिए वह उसे चुप नहीं करा पा रही थी। उसी शाम में जब अमरदीप के पिता और चाचा मजदूरी कर लौटते हैं तो उन्हें घर के पिछले हिस्से से अमरदीप के 8 महीने के चचेरे भाई की लाश मिलती है। उस मासूम पर खपड़े से वार के निशान मिले। ऐसे में परिवार वालों के लिए यह समझ पाना बेहद मुश्किल हो रहा था आखिरकार 8 महीने के बच्चे का कत्ल किसने किया। तभी घरवालों की नजर अमरदीप पर जाती है। उसके शरीर पर कुछ ऐसे निशान दिखते हैं जिससे घरवालों को आभास हो जाता है कि इस कत्ल में अमरदीप का कुछ ना कुछ कनेक्शन जरूर है।
घर का बच्चा होने की वजह से परिवार वाले पुलिस के चक्कर में नहीं पड़े। जिसके बाद वह पहले की तरह ही परिवार के साथ रहने लगा, लेकिन जब कुछ महीने बीत जानें के बाद अमरदीप की छह महीने की सगी बहन घर में मृत मिलती है। इस बच्ची का कत्ल भी ठीक उसी तरह से होता है। इस छह महीने की बच्ची के शरीर पर भी खपड़े से वार के निशान दिखते हैं। इस कत्ल के बाद भी परिवार के लोगों को अनुमान हो जाता है कि इसमें भी अमरदीप का हाथ है। तब भी घर वाले शांत रहे और पुलिस तक बात नहीं जानें दी इस डर के मारे कहीं वह अपनी बेटी के बाद अब अमरदीप को भी नहीं खो दें।
स्कूल में कत्ल के बाद पकड़ में आया 'मिनी साइको किलर'
करीब तीन महीने बाद एक महिला काम से थकने के बाद गांव के सरकारी स्कूल के बाहर सुसता रही थी। उसके साथ उसकी एक साल की बेटी खूशबू भी थी। इसी बीच उस महिला को घर का कोई काम याद आ जाता है। वह देखती है कि उसकी बेटी खूशबू नींद में है इसलिए वह उसे वहीं छोड़कर पास के अपने घर चली जाती है। जब वह खूशबू को सोते हुए छोड़कर जा रही होती है वह देखती है कि स्कूल के पास अमरदीप खेल रहा है। अपना काम निपटाकर जब कुछ ही समय बाद महिला वहां पहुंचती तो उसे अपनी बच्ची नहीं दिखती है। वह घबरा जाती है। पूरे गांव में बच्ची की तलाश शुरू हो जाती है। महिला को याद था कि जब वह खूशबू को सोते हुए छोड़कर गई थी तब स्कूल के पास अमरदीप दिखा था। वह अमरदीप से जब खूशबू के बारे में पूछती है तो वह कुछ भी नहीं बोलता है, केवल मंद-मंद मुस्कान देता है। इसके बाद खुशबू के लापता होने की बात पुलिस तक पहुंचती है। महिला पुलिस को बार-बार कहती है कि खूशबू जहां सो रही थी वहां अमरदीप मौजूद था, इसलिए उसे जरूर इस बारे में कुछ ना कुछ मालूम है। पहले तो पुलिस इस बात को नजरअंदाज कर देती है, लेकिन महिला के बार-बार कहने पर अमरदीप को बुलाया जाता है।
अपनी बातचीत के क्रम में अमरदीप की बातों से साफ था कि उसे कत्ल करने में मजा आता है। महज आठ साल की उम्र होने की वजह से उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह गुनाह कर रहा है। उसे यह भी अनुमान नहीं था कि ऐसा करने से उसे कितनी सख्त सजा मिल सकती है। खैर, केस की सुनवाई में यह माना गया कि हत्या के वक्त बच्चे को सही-गलत कि पहचान नहीं थी। वहीं जुवेनाइल कोर्ट में महज तीन साल की सजा होने के बाद खतरा था कि अगर यह बच्चा समाज में जाता है तो ना जाने कितने और वारदात को अंजाम देगा। इस वजह से 2015 तक डॉक्टरों की विशेष निगरानी में उसे दुनिया की नजरों से दूर रखा गया। ना केवल इसके दिमागी हालत का इलाज किया गया बल्कि हर रोज उसकी काउंसलिंग भी की गई। अब अमरदीप 18 साल से ज्यादा उम्र का हो गया होगा। लेकिन वह अब कहां है क्या कर रहा है इस बारे में बिहार सरकार ने सारी जानकारी को गुप्त रखा हुआ है।