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मिलिए उस किसान से जिसने 1.5 लाख की लागत से कमाए 50 करोड़ रुपये, विदेश तक हैं चर्चे

मिलिए उस किसान से जिसने 1.5 लाख की लागत से कमाए 50 करोड़ रुपये

कौन कहता है कि खेती में अब फायदा नहीं रहा है। खेती करना घाटे का सौदा बन गया है। खेती में अगर आधुनिक तकनीक एवं पद्धति का इस्तेमाल किया जाए तो खेती से काफी कमाई की जा सकती है। आज हम आपको ऐसे ही किसान के बारे में बताएंगे, जिन्होंने खेती न सिर्फ अपनी किस्मत बदली बल्कि पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है।

राजस्थान में जालौर के योगेश जोशी के पास आज  50 करोड़ रुपये का व्यवसाय है और ये सब ऑर्गेनिक खेती के जरिए उन्होंने कमाया है।  1.5 लाख रुपये के निवेश से शुरू हुई योगेश की कंपनी अब 50 से अधिक स्टाफ की मदद से 50 करोड़ से भी ज्यादा का कारोबार कर रही है। कृषि विज्ञान में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद योगेश जोशी ने जैविक खेती में डिप्लोमा के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। साल 2006 में 8,000 रुपये महीने की नौकरी के साथ योगेश ने अपने करियर की शुरुआत की। करीब चार साल तक काम करने के बावजूद योगेश का वेतन केवल 12,000 रुपये महीने पर ही पहुंच पाया, इससे योगेश निराश हो गए और साल 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ जैविक खेती का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया।

योगेश किसानों को बेहतर दाम देकर जैविक फल-सब्जियां खरीदते और फिर उन्हें बड़ी कंपनियों को बेचते जो महंगे भाव पर जैविक खाद्य पदार्थ खरीदना चाहती हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने सात किसानों के साथ मिलकर जीरे की जैविक खेती शुरू की। व्यावहारिक अनुभव की कमी के कारण योगेश ने खेत की मिट्टी में मिले रसायन को खत्म करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया और इस वजह से उनकी पहली फसल बेकार हो गई।

तीन साल बाद योगेश ने किसानों के खेत को रसायन से पूरी तरह मुक्त करने में सफलता हासिल की। जोशी के पास ऑर्गेनिक खेती के प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने दोस्तों की मदद ली और 1.5 लाख रुपये का निवेश करके काम शुरू किया। 10 साल पहले शुरू हुई योगेश की एक छोटी शुरुआत बड़े संगठन का रूप ले चुकी है। योगेश की कंपनी रैपिड ऑर्गेनिक अब 3,000 से अधिक किसानों के साथ काम कर रही है। किसानों को बीज, प्रौद्योगिकी, जैविक उर्वरक और संपूर्ण सहायता प्रदान करती है। किसान जैविक उत्पाद उगाकर योगेश को देते हैं। वित्तीय समस्या से जूझ रहे किसानों को लोन भी मिलता है और फिर कंपनी उनसे उचित मूल्य पर फसल भी खरीदती है।