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यूपी के लिए सीएम योगी बेहद ‘उपयोगी’, इन पांच कामों से मिला BJP को वोट, अखिलेश यादव को चोट

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यूपी का सिंहासन योगी आदित्यनाथ की ओर होता हुआ नजर आ रहा है। सीएम योगी एक बार फिर सरकार बनाते हुए दिख रहे हैं। दोबारा मुख्यमंत्री बनने के साथ ही योगी आदित्यनाथ इतिहास रच देंगे और उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हो जाएंगे। योगी आदित्यनाथ सीएम बनते हैं तो पिछले 37 साल के इतिहास में पहला मौका होगा जब किसी सीएम के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया हो, जीता गया हो और वही दोबारा मुख्यमंत्री बना हो। यूं तो मुख्यमंत्री की रेस में अखिलेश यादव भी है, लेकिन योगी आदित्यनाथ के आगे उनका जादू फीका है। चलिए आपको बताते है कि कैसे योगी आदित्यनाथ.. अखिलेश यादव पर भारी पड़ गए है?

कानून व्यवस्था- सस्ती बिजली, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा, शिक्षामित्रों को फिर से सहायक अध्यापक बनाने और पुरानी पेंशन लागू करने जैसे बड़े चुनावी घोषणाएं भी योगी सरकार की कानून व्यवस्था के आगे फेल हो गए। योगी आदित्यनाथ लोगों को यह समझाने में कामयाब हुए कि कानून व्यवस्था बेहतर रही तो प्रदेश का विकास तेजी से होगा। यही नहीं, चुनावी दौर में सपा नेताओं के आए विवादित वीडियो भी अखिलेश के खिलाफ चले गए। अखिलेश ने जितना माहौल बनाया था, वो सब पीछे हो गए। महिलाओं ने अखिलेश के किसी भी वादे की बजाय योगी के कानून व्यवस्था पर भरोसा जताया।

महिलाओं का सशक्त बनाना- पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत महिलाएं बनकर उभरी हैं। पीएम आवास योजना से लेकर उज्जवला गैस योजना और बिजली योजना तक सब ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया। महिलाओं ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी योगी आदित्यनाथ का साथ दिया। मुस्लिम महिलाओं ने भी भाजपा सरकार को वोट दिया है।

मुफ्त राशन- कोरोना काल में तीन साल से बीजेपी की सरकार हर गरीब तक मुफ्त राशन पहुंचा रही थी। गांव-गांव में लोगों ने इसकी तारीफ की। पीएम मोदी और सीएम योगी अपनी रैलियों में भी इसका जिक्र हमेशा करते थे। इसका फायदा भी बीजेपी को मिला।

किसान सम्मान निधि और आवास योजनाएं- पीएम किसान सम्मान योजना के तहत हर साल छोटे किसानों को छह हजार रुपये दिए जाते हैं। ये रकम सीधे किसानों के खाते में जाती है। गांव-गांव में किसान इसकी तारीफ भी करते हैं। इसके अलावा आवास योजना और शौचालय के लिए भी गरीब व मध्य वर्ग के लोगों को अच्छी खासी रकम दी जाती है। खुले मंच से लोग इसकी तारीफ करते हैं। चुनाव में बीजेपी के लिए ये योजनाएं काफी मददगार साबित हुईं।

दलित वोटर्स- रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 70% दलित वोटर्स बहुजन समाज पार्टी से शिफ्ट होकर बीजेपी की तरफ आ चुके हैं। समाजवादी पार्टी ने काफी कोशिशें कीं, लेकिन दलित वोटर्स का भरोसा नहीं जुटा पाई। ऐसा इसलिए क्योंकि जब सपा की सरकार थी, तब सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार के मामले सामने आए थे। इसलिए बसपा के बाद दलित वोटर्स का अगर किसी पार्टी पर भरोसा बन पाया है तो वह बीजेपी है।