क्या आप जानते हैं कि गज केसरी योग क्या होता है। गज केसरी योग का जातक के जीवन में क्या असर होता है। कैसे होता है गज केसरी योग का निर्माण और यह योग जीवन के किस हिस्से में प्रभावकारी होता है? चलिए जानते हैं इन सारे सवालों के जवाब।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कहता है कि कुंडली में गजकेसरी योग तब बनता है, जब गुरू और चंद्रमा की युति होती है। यानी कुंडली में मौजूद बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा आपस में योग बनाते हैं तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। इससे जातक धनवान और प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य का मालिक बनता है। गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है जो जातक को हर तरह से सुखी और संपन्न बनाता है।
जिसकी कुंडली में गजकेसरी योग बनता है उसे जिंदगी में किसी चीज का अभाव नहीं रहता। वो हमेशा सौभाग्यशाली बनता है। ऐसे भी कई लोग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर घर में पैदा होने के बावजूद आगे जाकर धनवान और संपन्न हो जाते हैं। गजकेसरी योग इसी किस्मत के धनी लोगों की कुंडली में बनता है।
इसका नाम गजकेसरी कैसे है, इसमें गज का अर्थ हाथी व केसरी का अर्थ सोने (GOLD) या सिंह से लगाया जाता है। इस योग के कुंडली में बनने से जातक को जीवन में ऊंचाइयां मिलती है। ऊंची सरकारी नौकरी मिलती है, राजनेता बनने के योग बनते हैं और भूमि भवन के लाभ के साथ साथ बिजनेस करियर में खूब तरक्की मिलती है।
1. कुंडली के पहले भाव में गजकेसरी योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे लोग आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।
2. कुंडली के दूसरे भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो जातक उच्च घराने में पैदा होता है और वाणी का धनी होता है।ऐसे लोगों के घर में पैसे रुपए की कमी नहीं रहती। ऐसे लोग कथावाचक या मोटिवेटर बनते हैं।
3. कुंडली के तीसरे भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो जातक के भाई बहन को भी बड़ा पद मिलता है। ऐसे लोग बहुत ताकतवर, पराक्रमी और समाज में मान-सम्मान पाते हैं।
4. कुंडली के चौथे भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो जातक मां का प्यारा होता है, उसे मां का प्यार मिलता है और धन संपदा के साथ साथ भूमि भवन और वाहन का लाभ मिलता है।
5. कुंडली के पांचवे भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो ऐसे लोग बुद्धि के बल पर धन कमाने में सबसे आगे रहते हैं। ऐसे लोग अपने दिमाग के बल पर शिक्षक, वैज्ञानिक, न्यायाधीश, लेखक बनते हैं।
6. कुंडली के छठे भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो ये योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। छठे भाव में गुरु शत्रुहंता होता है। ऐसे लोगों से हालांकि शत्रु दब कर रहते हैं, पराक्रम साथ देता है।
7. कुंडली के सातवें भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो अच्छे घराने का बेहतर और समझने वाला जीवनसाथी मिलता है और वो उच्च पद पर आसीन होता है।
8. कुंडली के आठवें भाग में गजकेसरी योग बन रहा हो तो हालांकि कुछ कमजोर होता है लेकिन जातक को हमेशा गुप्त धन का लाभ होता है। जहां मिलने की उम्मीद नहीं वहां से भी धन मिल जाता है।
9. कुंडली के नौवें भाग में गजकेसरी योग बन रहा हो तो जातक भाग्यवादी होता है। उसे कर्म से ज्यादा यानी मेहनत से भी ज्यादा फल भाग्य की बदौलत मिल जाता है। ऐसे लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं और उनके पास हमेशा धन रहता है।
10. कुंडली के दसवें भाग में गजकेसरी योग बन रहा हो तो जातक के पिता और मायके वाले ऊंचे पद आसीन होते हैं। ऐसे लोग भाग्य में ज्यादा विश्वास करते हैं समाज में मान सम्मान पाते हैं।
11. कुंडली के ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो लोग एक से ज्यादा स्रोत से पैसा कमाते हैं। ऐसे लोगों को भूमि, बिजनेस और नौकरी कई तरफ से कमाई होती है। कम मेहनत मे ज्यादा पैसा का संकेत होता है। ऐसा जातक घर बैठे बैठे भी अच्छी कमाई कर लेता है।
12. कुंडली के बारहवें भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो यहां कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं बना पाता। हालांकि जातक के पास पैसा रहता है और वो घर से रहने वाला और धर्म आध्यात्म पर रुपया व्यय करने वालों की श्रेणी में आता है। ऐसे लोग परिवार से दूर रहकर अच्छी सफलता हासिल करते हैं।
यह तो आपने जााना कि कुण्डली के किस भाव में गज केसरी का योग बनने से क्या लाभ होता है। नैसर्गिक नियम है कि जिस चीज से लाभ होता है तो उससे कुछ हानि भी होती है। जैसे कुछ गजकेसरी योग जातक को घर से दूर लेजाकर लाभ देता है। तो कुछ लोगों को अपने परिवार के अलावा अपने ससुराल पक्ष से लाभ मिलता है। कुछ जातकों की श्रेणी में गज केसरी योग तो होताहै लेकिन उन्हें लाभ तब होता है जब वो मेहनत करते हैं। यह सब निर्धारित होताा है सिंचित कर्म और प्रारब्ध के आधार पऱ।