भारत और नेपाल के बीच हमेशा से बेहतर संबंध रहा है। स्थानीय बुजूर्गों ने देखा है कि भारत औऱ नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध रहा है। सशस्त्र सीमा बल का गठन 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के बाद 1963 में किया गया था। दरअसल सशस्त्र सीमा बल की तैनाती भारत के नेपाल और भूटान बॉर्डर पर की गई थी,जो आज भी जारी है। बदलते हालात में जिस तरह से पाकिस्तान के दहशतगर्द नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश करने में सफल रहे और हिन्दुस्तान में एक के बाद एक दहशत फैलाने में कामयाब रहे ,ऐसे में केन्द्र सरकार की ओर से भारत नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल की तैनाती और ज्यादा अहम हो जाती है।
हालांकि, भारत का नेपाल के साथ सदियों से बेहतर संबंध रहा ,इन दो देशों की सीमाएं कभी संवेदनशील भी नहीं रही हैं। लिहाजा इंडो-नेपाल बॉर्डर पर तैनात SSB के जवानों की ओर से जो पहल की जा रही है,वो काफी सराहनीय और बेहतर पहल मानी जा रही है। दरअसल,इंडो-नेपाल बॉर्डर पर एसएसबी के जवानों ने शिक्षा के जरिए दोनों देशों के बीच और भी बेहतर संबंध स्थापित करने की कवायद तेज कर दी है।
छोटे-छोटे बच्चों को तालीम दे रहे हैं SSB के जवान
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर तैनात एसएसबी के जवान इन दिनों सीमा के आसपास रहने वाले छोटे-छोटे बच्चों को तालीम दे रहे हैं। इन जवानों को एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि जवान सीमावर्ती इलाक़े के बच्चों को तालीम दें। लिहाजा सशस्त्र सीमा बल के जवान बिहार के मधुबनी जिले से सटे इंडो-नेपाल बॉर्डर के दुहबी बाजार इलाके के ग्रामीण बच्चों को पढाने का काम कर रहे हैं। वहीं,मामले को लेकर दुहबी बाजार स्थित SSB कैंप के डिप्टी कमांडेंट तासी पहलदान ने बताया कि दोनों देशों में बेहतर संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से SSB की ओर से यह पहल की जा रही है।
भारत-नेपाल के कुल 57 बच्चों की पढ़ा रहे हैं जवान
9 मई, 2023 से बॉर्डर पर दोनों देशों के बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की गई है। जवानों के द्वारा पढ़ाए जा रहे कुल 57 बच्चों में फिलहाल इंडिया के 20 और नेपाल के 37 बच्चे शामिल है। SSB जवानों की ओर से बच्चों को प्रतिदिन शाम को एक घंटा पढ़ाया जाता है, जो आगे भी जारी रहेगा। साथ ही SSB के अधिकारी का कहना है कि यह सिलसिला अनवरत रहेगी,औऱ ज्यादा से ज्यादा बच्चों को तालीम दिए जाने की कोशिश रहेगी।
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