इस वक्त धरीत पर कई सारी विपदाएं आई हुई हैं। इधर गर्मी से दुनिया के कई देशों में भूषण सुखे का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिसके चलते आने वाले दिनों और भी कई परेशानियां आ सकती हैं। इसके साथ ही दुनिया में कई देशों के बीच जंग के हालत बने हुए और कई जगह चल रहे हैं। यूक्रेन और रूस जंग अभी खत्म नहीं हुई थी कि अब आसमान से किसी भी वक्त एलियंस हमला कर सकते हैं।
दरअसल, आकाशगंगा मिल्की वे में चार एलियन सभ्यताएं मौजूद हैं, जो धरती पर हमला कर सकती हैं। क्योंकि, इसमें रहने वाले एक-दूसरे के दुश्मन होंगे। स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वीगो में पीएचडी कर रहे अल्बर्टो कैबलेरो ने कहा है कि, 1977में डिटेक्स किए गए 'वाउ सिग्नल' के सटीक स्रोत का पता लगाया है। हालांकि, उनकी इस रिसर्च को एख कल्पना माना जा रहा है। अल्बर्टो ने वैज्ञानिकों को मैसेजिंग एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (एमईटीआई) का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतने की भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, हम दूसरी दुनिया के लोगों के दिमाग के बारे में नहीं जानते हैं। दूसरी दुनिया की सभ्यता के लोगों के पास बिल्कुल अलग रासायनिक संरचना वाला दिमाग हो सकता है। संभवत: उनके पास सहानुभूति न हो या उनके पास और ज्यादा मनोवैज्ञानिक व्यवहार हों।
उनके रिसर्च पेपर का नाम, एस्टिमेटिंग द प्रीवलेंस ऑफ मलिशस एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल सिवलिजैशन है। इसका उद्देश्य अन्य वैज्ञानिकों को चेतावनी देना और एलियन सभ्यताओं की एक संख्या बताना है जो अंतरिक्ष में भेजे जा रहे संदेश का जवाब दे सकते हैं। अपने पेपर में उन्होंने पृथ्वी पर हो चुके हमलों की संख्या भी बताई है, जिसमें वाउ सिग्नल भी शामिल है। उनके मुताबकि, 1915से 2022तक जितने हमले एक दूसरे पर धरती के देशों ने किए हैं, उन्हें देखकर लगता है कि एलियंस खुद धरती पर हमला करेंगे। क्योंकि, इंसान किसी एलियन सभ्यता पर हमला करे इसकी संभावना 0.028फीसदी है। क्योंकि, इंसान अब भी अंतरिक्ष में लंबी यात्राएं करने में सक्षम नहीं है। अभी जो तकनीक है उसके हिसाब से लगता है कि इंसान को तेजी से अंतरिक्ष में यात्रा करने में सक्षम होने के लिए 200से अधिक वर्ष का समय लगेगा।
इसके आगे उनका कहना है कि, एक रहस्यमय सिग्नल हमारे जैसे ही एक दूसरे सौरमंडल से एलियंस ने लगभग आधी सदी पहले भेजा था। इसे वाउ सिग्नल के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त 1977 को रेडियो सिग्नल रिसीव किया गया। जो करीब एक मिनट लंबा था। इस सिग्नल पर वैज्ञानिक सालों तक काम करते रहे। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सुपर अर्थ (ऐसा ग्रह जो सौरमंडल के बाहर किसी तारे का चक्कर लगाता हो) की खोज की है, जो हमारी पृथ्वी से चार गुना बड़ा है। खगोलविदों ने इसे रॉस 508 बी का नाम दिया है। यह हमारी पृथ्वी से 36.5 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह हैबिटेबल जोन (तारे के समीप बने रहने योग्य जगह) में है। इसे धीमी रोशनी वाले एक तारे के समीप देखा गया है।