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ओडिशा के पुरी ज़िले में 2,300 साल पुरानी हाथी की मूर्ति की खोज

भारत की 2,300 साल पुरानी यह बौद्ध से जुड़ी यह हाथी की मूर्ति सबसे पुरानी ज्ञात मूर्तियों में से एक है।

भारतीय पुरातत्वविदों ने ओडिशा में लगभग 2,300 साल पहले उस समय बनायी गयी एक हाथी की मूर्ति का पता लगाया है, जब सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म एक मुख्य धर्म था।

यह प्रतिमा लगभग 3 फीट (1 मीटर) ऊंची है और उसी शैली में चट्टान से काटकर बनायी गयी है, जिस तरह ओडिशा राज्य में हाथियों की अन्य बौद्ध प्रतिमायें पायी जाती हैं।

इतिहासकार अनिल धीर और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की एक पुरातात्विक टीम के अन्य सदस्यों ने अप्रैल में ओडिशा के पुरी ज़िले में दया नदी के किनारे एक गांव में इस मूर्ति का पता लगाया।

लाइव साइंस ने धीर के हवाले से बताया है, “हम दया नदी घाटी की विरासत का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए उसका सर्वेक्षण कर रहे थे। यह क्षेत्र प्राचीन बौद्ध धर्म की कलाकृतियों से समृद्ध है, जो यहां फली-फूली।”

लाइफ साइंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पता लगाने वाली टीम को गांव के आसपास कई अन्य दफ्न हो चुके पुरातात्विक अवशेष मिले, जिनमें एक बौद्ध मंदिर के वास्तुशिल्प टुकड़े भी शामिल हैं।

धीर के अनुसार, हाथी की यह मूर्ति धौली में पायी गयी मूर्ति के समान है, जिसे धौलागिरी के नाम से भी जाना जाता है, जो बौद्ध धर्म का एक प्राचीन केंद्र है, जो लगभग 19 किमी ऊपर की ओर है और और 231 ईसा पूर्व से लेकर 272 ईसा पूर्व के बीच की है।

हाथी की मूर्ति का बौद्ध शिक्षाओं से गहरा संबंध है। भूटान लाइव की एक रिपोर्ट के अनुसार, बुद्ध ने एक बार कहा था, “जंगलों के शांत एकांत में आध्यात्मिक रूप से व्यापक लोगों को उसी तरह एकांत मिलता है, जैसा कि शक्तिशाली हाथी को मिलता है।”