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अमेरिका से पहले भारत मार गिराएगा चीन की Heat Seeking हाईपर सोनिक Missile! तैयार हो रहा अदृश्य हथियार

चीन की Heat Seeking Missile दुनिया के लिए बना हौव्वा

हीट सीकिंग हाईपर सोनिक मिसाइल का परीक्षण कर चीन ने दुनिया को भौंचक कर दिया है। चीन की ओर से लगातार कोशिशें हो रही हैं दुनिया उसको न केवल इकोनॉमिकली बल्कि मिलिटरिली सुपर पॉवर भी स्वीकार करे। इसलिए इस समय चीन हर वो काम कर रहा है जिससे अमेरिकी साख सीधे तौर पर प्रभावित होती है। हालांकि, दूरअंदाज लोग मानते हैं कि अगर चीन अमेरिका को पछाड़ कर सुपर पावर बन भी गया तो उसका अगला निशाना रूस होगा। बात यहीं खत्म नहीं होती है। चीन के लिए अमेरिका से ज्यादा चिंता भारत है। भारत की सैन्य और आर्थिक ताकत को जो लोग कम करके आंक रहे थे अब वो सकते में हैं। जिस तरह महज साठ साल से भी कम अर्से में चीन सुपर पॉवर बनने की ओर बढ़ रहा है वैसे ही भारत अंतरिक्ष हो या धरती बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन को भारत की यह तेजी रास नहीं आ रही है। भारत के 44 हजार स्कैवर किलोमीटर पर अवैध कब्जा किए बैठा चीन भारत पर कुण्डली मारकर बैठना चाहता है। इस समय रूस और अमेरिका दोनों ही भारत के आर्थिक, रणनीतिक और सैन्य साझीदार हैं। चीन को यह बात भी नहीं पच रही है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि हीट सीकिंग हाईपर सोनिक मिसाइल बनाकर चीन अमेरिका और रूस के साथ-साथ भारत के लिए भी नई चुनौती खड़ी कर रहा है।

जानकार कहते हैं कि चीन जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हीट सीकिंग हाईपर सोनिक मिसाइल बना रहा है उसे इन्फ्रारेड लाइट एमिशन कहा जाता है। इन्फ्रारेड रेजेजस से टारगेट को फॉलो किया जाता है और फिर उसे शूट कर दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि यह टेक्नोलॉजी सिर्फ चीन के पास है। रूस-अमेरिका खुले तौर पर भारत ढके-छुपे इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, लेकिन चीन ने सबसे पहले हाईपर सोनिक मिसाइल के साथ इस टेक्नोलॉजी का ट्रायल या परीक्षण कर लिया है। ध्यान रहे, अमेरिका ने तो 1950 में ही AIM-9  नाम की मिसाइल बना ली थी। जो इसी टेक्नोलॉजी पर आधारित थी लेकिन वो हाईपरसोनिक नहीं थी।

रूस ने तो 2018 में हाईपर सोनिक हथियारों का जखीरा तैयार कर लिया था। हाल ही में रूस ने हाईपर सोनिक मिसाइल जिरकॉन को सबमरीन से लांच कर सबके होश उड़ा दिए थे। चीन ने इन सब को पीछे छोड़ते हुए इस हाईपर सोनिक हीट सीकिंग मिसाइल के अलावा ऑरबिटल बॉम्बिंग सिस्टम (संदेहास्पद) दुनिया सामने पेश कर दिया। इससे ऐसा लग रहा है कि चीन दुनिया का नया दारोगा बनने के लिए साइकोलॉजिकल गेम खेल रहा है।

हालांकि, भारत के पास चीन के इन सभी हथियारों की काट और तोड़ है लेकिन वो अभी शार्ट रेंज के हैं। जैसे भारत की फायर एण्ड फॉरगेट मिसाइल ऐसी है कि वो दुश्मन लक्ष्य को ढूंढ कर नष्ट कर देती है। भारत के डीआरडीओ ने हीट सीकिंग वेपंस विकसित करने के क्षेत्र काफी प्रगति कर ली है। कुछ मिलिटरी मैगजींस का कहना है कि हथियारों की होड़ में भारत चीन से भी बड़ा धमाका करने वाला है। भारत हीट सीकिंग हाईपर सोनिक मिसाइल-हथियारों को ही मार गिराने की तकनीकि विकसित करने में काफी आगे बढ़ चुका है।

सवाल यह उठता है कि क्या चीन की हीट सीकिंग हाईपर सोनिक मिसाइल को मार गिराया जा सकता है? तो इसका साफ-साफ जवाब है जी फिल्हाल ऐसा नहीं है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इन मिसाइलों को नहीं मार गिराया जा सकता है। जैसा कि हमने पहले ही बताया कि भारत चीन की हीट सीकिंग मिसाइल तकनीकि के खिलाफ गुपचुप तरीके से काफी कुछ कर चुका है। भारत डायरेक्ट एनर्जी वेपंस, पार्टिकल बीम और नॉन काइनेटिक वेपंस के विकास में काफी आगे बढ़ चुका है। अमेरिका और रूस भी रेलगन विकसित कर रहे हैं। अमेरिका तो अपने जंगी जहाजोंपर 150 किलोवॉट की लेजर गन नियुक्तकरने जा रहा है। अमेरिका के ही लॉकहीड मार्टिन ने नेक्सट जनरेशन ओवरहेड परसिसटेंट इनफ्रारेड सैटेलाइट लांच करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस सैटेलाइट की लांचिंग के साथ ही चीन की हीटसीकिंग हाईपरसोनिक मिसाइल का भय काफूर हो जाएगा। फिर चीन इन मिसाइलों को अपने शो रूम में ही सजा कर रखेगा। लेकिन जब तक लॉकहीड मार्टिन का यह सैटेलाइट लांच होगा तब तक दुनिया की भू-राजनीति में काफी कुछ बदल चुका होगा।

लेखकः ग्रुप कैप्टन (रि.) डीके पाण्डेय