समाजवादी पार्टी ने तो कुछ मंत्रियों और विधायकों के साथ बीजेपी में सेंध लगाई लेकिन अब बीजेपी सपा मुखिया अखिलेश यादव के आंगन में सेंध लगाने की तैयारी कर दी है। लखनऊ में शनिवार को यह चर्चाएँ आम थीं कि अखिलेश यादव के सौतेले छोटे भाई प्रवीण यादव की पत्नी अपर्णा यादव बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी फाइनल दौर की वार्ता भी हो चुकी है। अब बस ऐलान बाकी है। अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाओं से अखिलेश यादव का पारा सातवें आसमान पर है।
अखिलेश यादव ने इस बारे में अपने सौतेले भाई प्रतीक यादव से भी बातचीत की है, लेकिन सफल नहीं रही है। अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती यादव के बेटे हैं जबकि प्रतीक यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना (गुप्ता) यादव के बेटे हैं। साधना यादव मुलायम सिंह यादव पर अक्सर दबाव बनाती थीं कि पार्टी में प्रतीक को भी अखिलेश के बराबर स्थान मिले। मुलायम सिंह यादव की लाख कोशिशों के बावजूद प्रतीक को वो स्थान आज तक नहीं मिला। 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद साधना (गुप्ता) यादव के बेटे प्रतीक और अपर्णा यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जाकर मुलाकात की थी। उस समय भी समझा गया था कि प्रतीक और अपर्णा बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं।
अब एक बार फिर शनिवार को चर्चा अचानक तेज हो गईं कि मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा योगी आदित्यनाथ के सान्निद्धय में बीजेपी ज्वाइन करने जा रही हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि अखिलेश यादव ने साधना (गुप्ता) यादव को वो दर्जा कभी नहीं दिया जो दर्जा उन्हें मुलायम सिंह यादव से शादी के बाद मिलना चाहिए था। मुलायम सिंह यादव के कुनबे के शिव पाल यादव, रामगोपाल यादव समेत सभी साधना यादव को मानते हैं और उन्हें वही सम्मान देते हैं जो उन्हें मिलना चाहिए। कुछ समय पहले तक शिवपाल और अखिलेश की रार जग जाहिर थी। शिवपाल इस बात से नाराज थे कि जिस तरह से अखिलेश ने मुलायम सिंह को धक्का देकर समाजवादी पार्टी पर कब्जा किया वो तरीका ठीक नहीं था। शिवपाल समाजवादी पार्टी के वो स्तंभ हैं जिसने पार्टी को बनाने और खड़ा करने में अपनी जी-जान लगा दी। मुलायम सिंह यादव का हर शब्द शिवपाल के लिए आदेश होता था। और मुलायम सिंह यादव के हर आदेश का पालन करना शिवपाल यादव का कर्तव्य होता था। माना तो यह भी जा रहा है कि इस बार भी मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को आदेश दिया और शिवपाल ने उनके आदेश को शिरोधार्य करते हुए अपनी पार्टी भंग कर दी और समाजवादी पार्टी में अपने समर्थकों के साथ वापसी कर ली।
साधना (गुप्ता) यादव, प्रतीक यादव और अपर्णा यादव की कहानी कुछ अलग ही दिखाई दे रही है। इस बार अपर्णा यादव पैर पीछे खींचने से इंकार कर चुकी हैं। अपर्णा की मुहिम को सास साधना (गुप्ता) यादव का भी समर्थन हासिल है। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान अपर्णा यादव को पार्टी में शामिल करने के साथ ही उन्हें लखनऊ कैण्ट विधान सभा से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला भी कर चुकी है। भारत की राजनीति और सीमित ओवर्स के क्रिकेट मैच में पासा किसी भी पलट जाता है, अगर बीजेपी और अपर्णा यादव के बीच भी ऐसा ही चल रहा है तो कुछ भी कहना मुश्किल है, वरना मुलायम यादव के कुनबे में बीजेपी बड़ी सेंध लगाने में सफल हो ही चुकी है। ये सेंध अखिलेश को राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर झकझौर देने वाली होगी।