नई दिल्ली,18 अगस्त (एएनआई): Chandrayaan-3 अपने अंतिम गंतव्य चंद्रमा से बस कुछ ही दिन दूर है। 23 अगस्त को चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।
इसरो ने शुक्रवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर के सफलतापूर्वक अलग होने के ठीक बाद लैंडर से जुड़े स्थिति पता लगाने वाले कैमरे द्वारा ली गयी चंद्रमा की तस्वीरें जारी की हैं।
Chandrayaan-3 Mission:
🌖 as captured by the
Lander Position Detection Camera (LPDC)
on August 15, 2023#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/nGgayU1QUS— ISRO (@isro) August 18, 2023
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई (1919-1971) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी निर्धारित लैंडिंग से एक सप्ताह पहले इस अंतरिक्ष यान ने बुधवार को चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की अंतिम चंद्र-बाउंड कक्षा कटौती प्रक्रिया को अंजाम दे दिया है।
इस अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से यह कक्षीय अभ्यास की एक श्रृंखला से गुजर रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किए हुए एक महीना और तीन दिन हो गए हैं। इसस अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास कर रहा है, जिससे कि भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जायेगा।
भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के घोषित उद्देश्य सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर रोवर का घूमना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग हैं।
चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत 250 करोड़ रुपये (प्रक्षेपण वाहन लागत को छोड़कर) है।
चंद्रयान -3 का विकास चरण जनवरी 2020 में शुरू हुआ था और 2021 में लॉन्च की योजना बनायी गयी। हालांकि, COVID-19 महामारी ने मिशन की प्रगति में अप्रत्याशित देरी हो गयी थी।
चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद चंद्रयान-3 इसरो का अनुवर्ती प्रयास है और अंततः इसे अपने मुख्य मिशन उद्देश्यों में विफल माना गया।
इस बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पिछले सप्ताह चंद्रयान 3 की प्रगति पर विश्वास व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि सभी प्रणालियां योजना के अनुसार काम कर रही हैं।
अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, “अब सब कुछ ठीक चल रहा है। 23 अगस्त को (चंद्रमा पर) उतरने तक कई तरह की गतिविधियां होंगी। यह उपग्रह पूरी तरह दुरुस्त है।”
चंद्रमा पृथ्वी के अतीत के भंडार के रूप में कार्य करता है और भारत का एक सफल चंद्र मिशन पृथ्वी पर जीवन को बढ़ाने में मदद करेगा, साथ ही इसे सौर मंडल के बाक़ी हिस्सों और उससे आगे का पता लगाने में भी सक्षम बनायेगा।