मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए साइकेडेलिक्स के नैदानिक निर्धारण को वैध बनाने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया है। मीडिया में आए प्रेस रिलीज के मुताबिक अधिकृत मनोचिकित्सक पोस्ट-ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर यानी पीटीएसडी से पीड़ित मरीजों को एमडीएमए जिसे जादुई मशरूम लिख सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सीय सामान प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा “चिकित्सीय सानाम प्रशासन अभिघातजन्य तनाव विकार के उपचार के लिए एमडीएमए और उपचार प्रतिरोधी अवसाद के लिए साइलोसाइबिन निर्धारित करने की अनुमति देगा।“ । वहीं, टीजीए ने घोषणा करते हुए कहा कि साइलोसाइबिन यानी मैजिक मशरूम में मुख्य साइकोएक्टिव घटक और एमडीएमए अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं।
हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक , कुछ जानकारों को इस बात का डर है कि यह कदम समय से पहले उठाया जा सकता है,क्योंकि विचाराधीन दवाओं का अभी भी परीक्षण किया जा रहा है। वहीं, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन की ओर से किसी भी मानसिक रोगियों के इलाज के लिए औपचारिक रूप से अनुमोदित नहीं किया गया है।
इस संदर्भ में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के मानसिक स्वास्थ्य शोधकर्ता डॉ. माइक मस्कर ने कहा- साइकेडेलिक्स के उपयोग की बेहद सावधानी पूर्वक निगरानी की जाएगी। क्योंकि यह एक एक गोली लो और फिर छोड़ दो इस तरह का मामला नहीं होगा। वहीं, डॉ.माइक मस्कर ने इस क़दम को मानसिक स्वास्थ्य के लिए “गेम चेंजर” बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के रोगियों को पांच से आठ सप्ताह में तीन उपचार किये जाने की संभावना है। और प्रत्येक उपचार क़रीब आठ घंटे तक चलेगा, जिसमें चिकित्सक पूरे समय रोगी के साथ रहेंगे।
हालांकि, हेलुसीनोजेन के रूप में कार्य करने वाली एमडीएमए एक सिंथेटिक दवा है। इस दवा के इस्तेमाल करने वाले रोगियों के ऊर्जा स्तर, संवेदी हेलुसीनोजेन के रूप में काम करने के अनुभवों को बढ़ाता है, साथ ही उनकी समझ को विकृत कर देता है। वहीं,दूसरी ओर मैजिक मशरूम में सक्रिय यौगिक साइलोसाइबिन के कारण मतिभ्रम प्रभाव भी होता है। और यह प्राकृतिक रूप से उगाये जाते हैं।