इंसानों के लिए सेरोगेसी या फिर जिसे IVF कहते हैं ,आसानी से संभव हो रहा है। साथ ही इन दिनों इसके जरिए संतान सुख हासिल करने वालों की तादात में वृद्धि भी हुई है। ऐसा अभी तक मानवों में ही होता रहा है। किसी महिला का अंडाणु और किसी पुरूष का शुक्राणु लेकर भ्रूण फर्टाइल किया जाता था। फिर उसे किसी महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसे ही सरोगेसी कहते हैं। लेकिन अब सेरोगेसी के गाय में भी होने लगा है। औऱ वो भी भारत जैसे देश में ,जहां सेरोगेसी के जरिए एक बछिए का जन्म हुआ है।
दरअसल, भारत सरकार का एक कार्यक्रम Accelerated Breed Improvement Program चल रहा है। इसी कार्यक्रम के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण विधि से एक बछिया का जन्म हुआ है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में परखनली बछिया कहा जाए तो कोई अतिसयोक्ति नहीं होगा। और इस परखनली बछिया का नाम लक्ष्मी रखा गया है।
भारत की पहली IVF बछिया लक्ष्मी का हुआ जन्म
महाराष्ट्र में सांगली जिले के बगनी गांव में एक किसान सुशील खोट रहते हैं। इन्हीं के घर IVF Embryo Transplant तकनीक से परखनली बछिया लक्ष्मी का जन्म हुआ है। बताया जा रहा है कि यह बछिया समृद्धि का अंकुर है। लक्ष्मी का जन्म भारत सरकार के पशुपालन एवं डेरी विभाग की ओर से चलाए जा रहे Accelerated Breed Improvement Program के त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण प्रक्रिया के माध्यम से हुआ है। कार्यक्रम में डेरी किसानों के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु उच्च आनुवांशिक प्रजाति के भ्रूण को आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण के द्वारा दो लाख मादा संतति का लक्ष्य रखा गया है।
एनडीडीबी डेरी सर्विसेज की ओर से इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2022 के सितम्बर महीने में की गई।नौ महीने के सफल प्रयासों का नतीजा है कि आईवीएफ भ्रूणों के प्रत्यारोपण के माध्यम से अब तक 13 स्वस्थ बछिया का जन्म हो चुका है। महाराष्ट्र में सांगली के राजा राम बापू पाटिल सहकारी दुग्ध संघ लिमिटेड, इस्लामपुर में IVF भ्रूण के प्रत्यारोपण से जन्मी लक्ष्मी पहली बछिया है। वहीं, बताया जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में ऐसी 250 सरोगेट गाय और भैंस जन्म देने वाली हैं। जिनकी गर्भावस्था आईवीएफ भ्रूण प्रत्यारोपण के जरिए पुष्ट हो चुकी हैं।
सेरोगेसी से जन्मी गाय रोज देगी 40 लीटर दूध
विशेषज्ञों का कहना है कि सेरोगेसी से जन्मी गाय दिन में कम से कम 40 लीटर तक दूध देगी। वहीं,लक्ष्मी उच्च अनुवांशिक गुण के IVF भ्रूण से जन्मी है। इसकी क्षमता एक दिन में 35-40 लीटर दूध उत्पादन की है। यदि ऐसा होता है तो इस क्षेत्र के किसानों के लिए समृद्धि का द्वार खुल जाएगा। क्योंकि अभी उस क्षेत्र में डेरी किसानों के वर्तमान गौवंश के औसत दूध उत्पादन 20 लीटर तक ही है।
देश के कई राज्यों में इस योजना पर चल रहा है काम
इस योजना पर एनडीएस की टीम पिछले एक साल से निर्बाध रूप से काम कर रही है। महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखण्ड, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित छह अन्य राज्यों के 15 दुग्ध संघों तक कार्यक्रम को पहले से ही पहुंचाया जा चुका है। एनडीएस की टीम सितंबर 2022 से अब तक कुल 1,436 भ्रूण प्रत्यारोपण कर चुकी है। इनमें से 1,211 की गर्भावस्था जांच हो चुकी है। वहीं, इस साल भ्रूण प्रत्यारोपण गतिविधियों को बढाकर 3,000 का लक्ष्य रखा गया है।
सेरोगेसी से सिर्फ मादा बच्चे जन्म लेने की संभावना
एनडीएस का दावा है कि इस तकनीक से जो भ्रूण तैयार किए जाते हैं, उसमें 90 फीसदी मादा बच्चे पैदा होने की संभावना होती है। भ्रूण की नस्ल किसान चुनते हैं। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से पैदा हुए बच्चों में सरोगेट के कोई भी गुण नहीं होंगे ।