Chess World Cup 2023 के मैच में 5 बार से विश्व विजेता कार्लसन से भारत के 18 वर्षीय प्रज्ञानंदा को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो,लेकिन इस 18 साल के बालक पर देश को गर्व है। प्रज्ञानंदा पर देश के हर नागरिक को गर्व है,जिसने पांच बार के चैंपियन के साथ लोहा लिया और ट्राइब्रेक में हार मिली।
भारत के आर प्रज्ञानंदा को चेस विश्व कप 2023 के फाइनल में दुनिया के नंबर-1 ग्रैंडमास्टर मैग्नस कार्लसन के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। फाइनल में प्रज्ञानंदा ने कार्लसन को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन टाई ब्रेकर में भारत का लाल पिछड़ गया।
64 घरों वाली शतरंज (Chess) की बिसात पर भले ही प्रज्ञानंदा को कार्लसन से हार मिली, लेकिन उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं। क्योंकि हम भारतीय हैं जो एक बार ठान लेते हैं वो करके दिखाते हैं। प्रज्ञानंदा आपको भी निराश होने की जरूरत नहीं है,क्योंकि हमने 2019 में चन्द्रयान मिशन में फेल होने के बाद पुन: 2023 में चांद पर फतह हासिल कर लिया। ठीक इसी तरह अगले विश्व कप में प्रज्ञानंदा भी कुछ कमाल कर सकते हैं।
2019 में असफल होने के बाद ISRO ने जिस तरह हार नहीं मानी और ठीक 4 साल बाद चन्द्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक चन्द्रमा पर उतारा और भारत का तिरंगा जिस तरह ऊंचा किया। ISRO के साथ-साथ भारत का पुरी दुनिया में डंका बज रहा है। लिहाजा चन्द्रयान-3 की सफलता के पीछे कई सीख छिपी हुई है। ये सीख है धैर्य और आत्मविश्वास का,जो भारत के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है।
Chess World Cup 2023 के मैच के दौरान हर किसी की निगाहें प्रज्ञानंदा पर जमी हुई थी, जो दो दिनों से मैग्नस कार्लसन से फीडे विश्वकप का खिताबी जंग लड़ रहे थे। लेकिन आज उन्हें टाईब्रेक में हार मिल गई। हार के बावजूद प्रज्ञानंदा पर हर भारतीय को गर्व है। क्योंकि 18 वर्षीय इस युवा ने हर योद्धा को शतरंज की बिसात पर धूल चटा दिया।
जिस उम्र में बच्चे 10वीं और 12वीं की परीक्षा की तैयारी करते हैं या खेल-कूद में मस्त रहते हैं उस उम्र में प्रज्ञानंदा देश की शान बन चुके हैं। 18 वर्षीय इस युवा खिलाड़ी को लंबे समय से विश्वनाथन आनंद के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता रहा है, जो 5 बार के विश्व चैंपियन हैं।
चेन्नई के इस किशोर ने छोटी उम्र में ही कैंडिडेट्स में जगह बनाने वाला केवल दूसरा भारतीय बनकर यह साबित कर दिया था कि जब बड़े चेस इवेंट्स की बात आती है तो उनसे निपटना आसान नहीं होगा। 4.5 साल की उम्र में इस खेल को शुरू करने वाले इस युवा खिलाड़ी ने करियर में अब तक कई करिश्मे किए हैं। आनंद के मार्गदर्शन में प्रज्ञानंदा का लगातार विकास हो रहा है।
हालांकि प्रज्ञानंदा ने 2022 में एक ऑनलाइन टूर्नामेंट में विश्व के नंबर एक और पूर्व क्लासिक चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराकर दिखा दिया था कि वह दबाव में भी रहकर अच्छे अच्छों को हराने में माहिर हैं।वह आनंद और पी. हरिकृष्ण के बाद केवल तीसरे भारतीय बने, जिन्होंने अपराजेय नजर आने वाले कार्लसेन के खिलाफ बाजी पलटी। प्रज्ञानंदा का स्वभाव तो शांत है, लेकिन उनके गेम में गजब की आक्रामकता है।
उन्होंने विश्व नंबर 2 हिकारू नाकामुरा के खिलाफ करिश्माई प्रदर्शन किया था और फिर विश्व नंबर 3 फैबियानो कारुआना के खिलाफ सेमीफाइनल को टाईब्रेक में जीत हासिल की। इस दौरान उनका संयम गजब का रहा।
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