Hindi News

indianarrative

आख़िर किसकी एक चाल ने प्रज्ञानंदा को बना दिया Chess का ‘जादूगर’?

Chess के जादूगर प्रज्ञानंदा

Chess के मास्टर माइंड और जादूगर प्रज्ञानंदा फिलहाल 5 बार के विश्व विजेता कार्लसन से मुक़ाबला कर रहे हैं,तो वहीं दूसरी ओर उस शख्सियत की चर्चा जोरों पर है जिसकी एक चाल ने प्रज्ञानंदा को शतरंज का बादशाह बना दिया है। आइए जानते उस किंग मेकर के बारे में।

दुनिया में कमोबेश हर कामयाब व्यक्ति के पीछे कोई न कोई मार्गदर्शक होता है। और अगर किसी कामयाब व्यक्ति के कामयाबी में उसके मां-बाप का हाथ हो तो फिर कहना क्या।

माँ से बड़ी योद्धा कोई और नहीं 

ऐसा माना जाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा मां होती है,जो हर मुसीबत और बाधाओं को पार करते हुए अपने संतान की रक्षा औऱ सुरक्षा का ख्याल रखती है। चाहे उसके लिए उस मां को कितना भी जोखिम क्यों न उठाना पड़े। ऐसे ही किस्से हैं शतरंज के बादशाह प्रज्ञानंदा और उसकी मां के,जिसकी एक चाल ने प्रज्ञानंदा को बना दिया शतरंज का जादूगर।

पज्ञानंदा की हर चाल पर माँ की नजर

Chess बोर्ड पर चौंकाने वाली चालें चलते प्रज्ञानंदा के बगल में बैठी महिला उनकी मां हैं,जो अपनी खुली आंखों से बेटे की कामयाबी के सपने देख रही है। बेटे प्रज्ञानंदा को खेलने-कूदने की उम्र में मां ने बेटे को शतरंज की वो चाल सिखायी,जिसे प्रज्ञानंदा ने बड़ी ही बारीकी से सीखा। और आज प्रज्ञानंदा को बना दिया शतरंज की दुनिया का बादशाह।

माँ के सपनों को बेटे प्रज्ञानंदा ने किया साकार

मां ने सपने देखा और बेटा प्रज्ञानंदा भी मां के सपनों को साकार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। मां के सपनों को साकार करने के लिए प्रज्ञानंदा ने पूरे 64 मुहरों वाले इस खेल की चालों को इस बारीकी से सीखा जो सामने वालों को एक ही चाल में शह और मात देने में कामयाब हो रहा है।

5 बार के विश्व चैंपियन कार्लसन के साथ फाइनल मुक़ाबला

प्रज्ञानंदा फिलहाल 5 बार के विश्व चैंपियन कार्लसन से मुक़ाबला कर रहा है, भारत के प्रत्येक नागरिकों की यही चाहत है कि वह विश्व विजेता बने। आज पूरा देश इस 18 वर्षीय शतरंज के जादूगर के लिए दुआएं कर रहा है। वहीं, इस पूरे अभियान में एक ऐसा शख्स है जो इस 18 वर्षीय बालक के कंधे से कंधा मिलाकर साथ चल रहा है। दरअसल,वो कोई और नहीं बल्कि वही किंग मेकर हैं,जिसके बदौलत आज प्रज्ञानंदा यहां तक पहुंचे हैं।

माँ नागलक्ष्मी बेटे के हर मैच में रहती हैं मौजूद

प्रज्ञानंदा के इस अभियान में उनकी मां नागलक्ष्मी जो बेटे हर मैच में उनके साथ होती हैं। दुबली पतली सी दिखने वाली नागलक्ष्मी वही मां हैं,वही किंग मेकर हैं,जिसने देश को शतरंज की दुनिया का सबसे बड़ा चाणक्य दिया। दरअसल, प्रज्ञानंदा ने अपनी बड़ी बहन वैशाली को शतरंज खेलते देखकर सीखा।

पूर्व विश्व चैंपियन गैरी कास्परोव ने की तारीफ

पूर्व विश्व चैंपियन गैरी कास्परोव ने इस 18 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी और उनकी मां के प्रयासों की जमकर तारीफ की। कास्परोव ने ट्वीट किया, ‘प्रज्ञानंदा और उनकी मां को बधाई। मैं उन खिलाड़ियों में शामिल था जिनकी मां प्रत्येक प्रतियोगिता में उनके साथ में होती थी। यह विशेष प्रकार का समर्थन होता है। चेन्नई के रहने वाले भारतीय खिलाड़ी ने न्यूयॉर्क के दो खिलाड़ियों को हराया। वह विषम परिस्थितियों में भी दृढ़ बना रहा।’

प्रज्ञानंदा सेमीफाइनल में टाईब्रेक में कारुआना को 3.5-2.5 से न सिर्फ हराया बल्कि दो मैचों की क्लासिकर सीरीज 1-1 से बराबरी पर समाप्त की। फिर प्रज्ञानंदा ने बेहद रोमांचक टाईब्रेकर में अमेरिका के दिग्गज ग्रैंडमास्टर को हराया।

विश्वनाथन आनंद के बाद प्रज्ञानंदा दूसरे ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने शतरंज विश्वकप के फाइनल में जगह बनाई है।उन्होंने पहली बाजी कार्लसन के साथ ड्रॉ खेली और अब फाइनल में तय होगा कि कौन शतरंज का बादशाह बनेगा।

यह भी पढ़ें-विश्व कप शतरंज फ़ाइनल में आने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी