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चीन के ख़िलाफ़ ही चीन का फ़ैसला: गैलियम, जर्मेनियम निर्यात को नियंत्रित करने का चीनी फ़ैसले से भारत को फ़ायदा  

रडार से लेकर सौर पैनलों तक उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों की एक श्रृंखला बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो महत्वपूर्ण घटकों के निर्यात पर चीन का अचानक प्रतिबंध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन विकल्प तलाश रही दुनिया के संकल्प में मज़बूती ही आ सकती है।

विशेष रूप से यह घोषणा अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन की बीजिंग यात्रा से कुछ घंटे पहले आयी है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के चर्चित अख़बार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी सैन्य उद्योग को निशाने पर लेने का है।

डेली ने एक विशेषज्ञ का हवाला देते हुए कहा है,”गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) और गैलियम नाइट्राइड (GaN) सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग ऐरे (AESA) रडार पर ट्रांसमिट रिसीव मॉड्यूल बनाने में सबसे बुनियादी सामग्री हैं, जिनका व्यापक रूप से आधुनिक युद्धक विमानों, युद्धपोतों और ज़मीनी प्रतिष्ठानों पर उपयोग किया जाता है।”

किसी भी स्थिति में निकट भविष्य में इसकी आपूर्ति में कमी से इन सामग्रियों की क़ीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, वैश्विक बाज़ारों को यह अचानक लिया गया निर्णय कई मायनों में कई मुश्किलें भी अपने साथ ला सकता है,क्योंकि अंततः इन प्रमुख तत्वों- गैलियम और जर्मेनियम- के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश होनी शुरू हो जायेगी । ऐसे में इस फ़ैसले से इस क्षेत्र में ड्रैगन का दबदबा ख़त्म भी हो सकता है।

इस निर्णय ने विश्व व्यापार समुदाय के लिए अपने आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।

इस समय चीन वैश्विक जर्मेनियम आवश्यकता का लगभग 60 प्रतिशत और गैलियम का 80 प्रतिशत उत्पादन करता है। कनाडा, बेल्जियम, जापान और जर्मनी जैसे देशों में भी जर्मेनियम बनाने की क्षमता है। गैलियम का उत्पादन रूस, दक्षिण कोरिया, यूक्रेन और जर्मनी में भी किया जाता है।

1 अगस्त से इन वस्तुओं का कारोबार करने वाले निर्यातकों को सरकार की पूर्व मंज़ूरी की आवश्यकता होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि “कुछ विशेषताओं को पूरा करने वाली कुछ वस्तुओं को अनुमोदन के बिना निर्यात नहीं किया जायेगा।”

वाणिज्य मंत्रालय (एमओएफसीओएम) और सीमा शुल्क के सामान्य प्रशासन (जीएसी) की ओर से एक बयान में कहा गया है, “राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए राज्य परिषद की मंज़ूरी के साथ गैलियम और जर्मेनियम से संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लागू करने का निर्णय लिया गया है।”

बीजिंग ने अपनी ओर से कहा है कि यह फ़ैसला देश की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए लिया गया है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने कहा है कि चीन इस रणनीति को सौदेबाज़ी के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। थिंक टैंक सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के एक वरिष्ठ सहयोगी पॉल ट्रायोलो ने वाशिंगटन में इस समाचार संगठन को बताया, “अगर चीन इन आपूर्ति श्रृंखलाओं को हथियार बनाने का विकल्प चुनता है, तो यह चीन पर निर्भरता कम करने के मामले में अमेरिका, यूरोपीय संघ और एशिया में गणना को बहुत जटिल कर देगा।” । हालांकि, वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत स्थापित करने की क़वायद शुरू हो गयी है, लेकिन परिणाम आने में समय लगेगा।

गैलियम वास्तव में एल्युमिना का उप-उत्पाद है। भारत में उत्तरप्रदेश के रेनुकूट में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड और ओडिशा के दामनजोड़ी में नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड ने अतीत में इस तत्व को प्राप्त किया था, लेकिन इसका उत्पादन कभी भी केंद्र में नहीं रहा।

चूंकि भारत अब अर्धचालकों के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने का लक्ष्य रखता है, इसलिए उसे अपने स्वयं के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ महत्वपूर्ण कच्चे माल की विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने की आवश्यकता है।

इन वस्तुओं की आवश्यकता विश्व स्तर पर बढ़ने वाली है। इसलिए विश्व व्यापार समुदाय के लिए यह समझदारी है कि वे अन्य विश्वसनीय स्रोतों पर ध्यान दें, और संभवतः नई आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए वे भारत में अधिक निवेश करें।

Mahua Venkatesh

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