अफगानिस्तान में तालिबान ने 15 अगस्त 2020 को कब्जा कर लिया इसके बाद से भी भारी संख्या में दुनिया के लोगों के साथ अफगान के लोगों ने देश छोड़ दिया, लाखों लोगों ने तालिबानियों के डर से देश छोड़ दिया है और अब भी छोड़ रहे हैं। इस वक्त अफगानिस्तान की हालात यह है कि यहां के लोग दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं। इतना बड़ा आर्थिक संकट आ गया है कि ना तो नौकरी है और ना ही खाने के लिए पैसे। यहां तक की अब लोग अपने बच्चों तक को भी रासन की दुकान पर बेचकर रासन ला रहे हैं। इन सब के बीच अब तालिबान दुनिया से मदद की गुहार लगा रहा है।
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तालिबान और यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों के बीच पिछले सप्ताहांत में बातचीत हुई। इस दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान के एयरपोर्ट्स को चालू रखने के लिए यूरोपियन यूनियन से मदद मांगी। दोनों पक्षों की वार्ता कतर की राजधानी दोहा में हुई। ये वार्ता सोमवार से शुरू होने वाली अमेरिका और तालिबान के बीच दो हफ्ते की वार्ता से ठीक पहले हुई। तालिबान-अमेरिका की वार्ता भी दोहा में ही होने वाली है। यूरोपियन यूनियन की एक्सटर्नल एक्शन सर्विस (EEAS) ने अपने बयान में कहा, वार्ता का मतलब यूरोपियन यूनियन द्वारा तालिबान की अंतरिम सरकार को मान्यता देना नहीं है। लेकिन यूरोपियन यूनियन और अफगान लोगों के हित में यूरोपियन यूनियन के परिचालन जुड़ाव का हिस्सा है।
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यूरोपियन यूनियन की ओर से कहा गया है कि, तालिबान ने उन अफगानों के लिए माफी के अपने वादे पर कायम रहने की प्रतिबद्धता जताई, जिन्होंने अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ पश्चिम समर्थित सरकार के दौरान तालिबान के खिलाफ काम किया। यूरोपियन यूनियन ने तालिबान पर समावेशी सरकार बनाने के लिए दबाव भी डाला है। साथ ही लड़कियों की शिक्षा परर भी जो डाला है।