अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान को आए छह महीने से ज्यादा वक्त हो चुका है लेकिन, अब तक इसे मान्यता नहीं मिला है। तालिबान के आने के बाद से देश में मानवीय संकट गहराता चला जा रहा है। आधी आबाधी भूख से तड़प रही है। लाखों लोग अपना सबकुछ छोड़कर दूसरे देश चले गए। क्योंकि, तालिबान की क्रूरता से पूरी दुनिया वाकिफ है और इस बार भी तालिबान का वही बीस साल पुराना वाला क्रूर चेहरा देखने को मिला। इसके अलावा कई और मुद्दों को लेकर कई बड़े देशों ने तालिबान को मान्यता देने में जल्दबाजी नहीं समझी। अब खबर है कि तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता मिलने वाली है।
तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने समाचार एजेंसी एएफपी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय मान्यता की ओर बढ़ रहा है। लेकिन अफगानिस्तान के नए शासक जो भी रियायतें देंगे। वह उनकी शर्तों पर होने वाला है। हाल ही में तालिबान के नेताओं ने पश्चिमी मुल्कों से नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में चर्चा की थी। आमिर खान मुत्ताकी ने अमेरिका से गुजारिश की कि वे मानवीय संकट से निपटने में मदद करने के लिए अफगानिस्तान की संपत्तियों को जारी कर दें।
मुत्ताकी ने कहा है कि, अफगानिस्तान की नई सरकार धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय स्वीकारिता हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मान्यता मिलने के प्रोसेस में। हम उस टारगेट के करीब आ गए हैं। ये हमारा अधिकार है। ये अफगान लोगों का अधिकार है। हम अपना राजनीतिक संघर्ष और प्रयास तब तक जारी रखेंगे जब तक हमें हमारा अधिकार नहीं मिल जाता।
बता दें पिछले महीने नॉर्वे में हुई वार्ता के बैठक को लेकर नॉर्वे ने जोर देकर कहा कि बैठक का उद्देश्य कट्टरपंथी इस्लामी समूह को औपचारिक मान्यता देना नहीं देना था। लेकिन तालिबान ने इसे इस तरह से पेश किया, जैसे उन्हें मान्यता देने की बात कही गई। मुत्ताकी ने कहा कि उनकी सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ एक्टिव रूप से जुड़ी हुई है। ये एक स्पष्ट संकेत है कि हमारी स्वीकारिता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमारे साथ बातचीत करना चाहता है। इसमें हमारी अच्छी उपलब्धियां रही हैं।
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मुत्ताकी ने कहा है कि, काबुल में कई देश अपने दूतावास ऑपरेट कर रहे हैं, और जल्द ही अन्य के खुलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि कुछ यूरोपीय और अरब देशों के दूतावास भी खुलेंगे।