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क्या इसी दिन के लिए Taliban ने हथियाई थी सत्ता- आधी से ज्यादे जनता भूख से मर रही

क्या इसी दिन के लिए Taliban ने हथियाई थी सत्ता

तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराते जा रही है और इस वक्त आलम यह है कि देश में मानवीय संकट गहराता जा रहा है। देश की जनता की कुल आबादी की आधी से भी ज्यादा आबादी भूख से मर रही है। इसके साथ ही अफगानिस्तान की करेंसी की वैल्यू भी पिछले चार महीने से लगातार गिरते जा रहे है। कई रिपोर्ट की माने तो अगर दुनिया ने अफगानिस्तान को लेकर कोई बड़ा कदन नहीं उठाया तो अफगानिस्तान की स्थिति भयावह हो जाएगी।

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पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा अफगानिस्तान अब भयंकर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आधी से अधिक आबादी पर खाने का संकट है। बता दें कि अगस्त की शुरुआत में एक डॉलर की मुकाबले अफगान करेंसी की वैल्यू करीब 80 थी जो अब 123 तक पहुंच चुका है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान की अरबों डॉलर की संपत्ति को विदेशों में फ्रीज कर दिया है जिसके बाद से देश की इकॉनमी का हाल बुरा है। अफगानिस्तान को भी 23 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से करीब 45 करोड़ डॉलर मिलने की उम्मीद थी, लेकिन IMF ने तालिबान शासन को लेकर 'स्पष्टता की कमी' के कारण पैसे रिलीज करने से मना कर दिया था।

अफगानिस्तान में इस वक्त लोगों के पास फूटी-कौड़ी तक नहीं बची है, सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं। अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर खान अफजल हदवल ने कहा कि तालिबान पर प्रतिबंध और अफगानिस्तान के रिजर्व फंड को फ्रीज करने से अफगानिस्तान की इकॉनमी पूरी तरह से पतन के कगार पर है। यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान की 3.8 करोड़ आबादी में से करीब 2.3 करोड़ आबादी पर पहले से ही खाने का संकट बना हुआ है। देश में कुपोषण बढ़ रहा है। कोरोना वायरस महामारी, भयंकर सूखा आदि के कारण देश की हालात बद से बदतर हो रही है।

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इधर तालिबान अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने के लिए राजी नहीं है जिसके चलते दुनिया के बड़े देश समर्थन देने से मना कर रहे हैं। जब तक तालिबान समावेशी सरकार नहीं बनाता दुनिया के बड़े देश उसकी सरकार को मान्यता नहीं देंगे। ऐसे में ना वो कोई मदद करेंगे, जिसका खामियाजा अफगान नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।