अफगानिस्तान में इस वक्त मानवीय संकट गहराया हुआ है। तालिबान के कब्जा करने के बाद से अर्थव्वस्था चरमराई हुई है। आलम यह है कि लोग अपने एक बच्चे का पेट भरने के लिए अपने दूसरे बच्चे को बेच रहे हैं। ऐसे में दुनिया के कई देशों ने अपने-अपने तरीके से अफगानिस्तान की मदद करनी शुरू कर दी है। लेकिन तालिबान में हाथों में इस वक्त फूटी कौड़ी नहीं है। इसके साथ ही जो भी देश अफगानिस्तान की मदद करना चाह रहा है वह सीधे तौर पर तालिबान को न देकर बल्कि वहां मदद करने वाली विदेशी संस्थाओं को पेसै और जरूरी समाना दे रहा है। ऐसे में ना तो तालिबान के पास पैसे बचे हैं और ना ही कहीं से आने वाले हैं। ऐसे में अब रूस ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि, अफगानिस्तान में जल्द ही फिर से सत्ता परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
यह भी पढ़ें- Pakistan बनते जा रहा 'आतंक का गढ़' US रिपोर्ट में कई खुलासे
रूसी राष्ट्रपति के विशेष सहयोगी जमीर काबुलोव ने कहा है कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान एक समावेशी सरकार नहीं बनाते हैं तो वह काबुल में सत्ता खोने का जोखिम उठाएंगे। अगस्त में जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है तब से तालिबान शासन समावेशी सरकार के अपने वादे को निभाने में नाकामयाब रहा है। काबुलोव ने रूसी न्यूज एजेंसी स्पूतनिक से बात करते हुए कहा कि एथनिक राजनीतिक समावेश की जरूरत है। अगर तालिबान इसी तरह से काम करते रहे तो जल्द ही सत्ता खो सकते हैं। उन्हें संवेशी सरकार बनानी होगी। हम इस बात को बिना अल्टीमेटम और शांति के कहते हैं कि बस करो। लेकिन उन्हें यह काम करना होगा।
तालिबान शासन से दुनिया के कई बड़े देश लगातार समावेशी सरकार बनाने के लिए कह रहे हैं, लेकिन इसे लेकर तालिबान के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। एक ओर वो दुनिया से समर्थन की मांग कर रहा है लेकिन वहीं, दूसरी ओर जब समावेशी सरकार बनाने की बात सामने आ रही है तो तालिबान इसपर चुप्पी साधे बैठा हुए है। अमेरिका, फ्रांस सहित कई देशों से अब तक तालिबान को राजनयिक मान्यता नहीं दी है। इन देशों का कहना है जब तक कि तालिबान समावेशी सरकार नहीं बनाता, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को पूरे अधिकार नहीं देता, मानवाधिकार के मसलों को बेहतर तरीके से डील नहीं करता तब तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दिया जा सकता है।
यह भी पढ़ें- कंगाल पाकिस्तान के मुखिया Taliban की वकालत करते फिर रहे Imran Khan दुनिया को दे रहे धमकी!
जमीर काबुलोव ने यह भी कहा है कि, अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों को अफगानिस्तान की स्थिति के लिए पूरी वित्तीय जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मास्को भी प्राथमिकता पर मानवीय सहायता कर रहा है। हम 18 दिसंबर को अफगानिस्तान में मानवीय सहायता का एक और बैच भेज रहे हैं।