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Pakistan की राजनीति में बड़ा हेर-फेर! शाहबाज सरकार ने कहा इस पूर्व प्रधानमंत्री को बनाएंगे स्पीकर

शहबाज सरकार ने कहा इस पूर्व प्रधानमंत्री को बनाएंगे स्पीकर

पाकिस्तान की रातनीजित में आया भूचाल तो फिलाहाल थम गया है लेकिन, देश की अर्थव्यवस्था में भूचाल अब जारी है। पाकिस्तान की इकॉनमी का हालत बुरा है। इमरान खान सरकार के दौरान भी देश की अर्थव्यव्था बुरी तरह गिरी पड़ी थी। पड़ोसी देश चीन सहित कई ग्लोबल संस्थाओं से मदद लेने के बाद भी पाकिस्तान की इकॉनमिक हालात में सुधार नहीं हो पा रहा है। अब नई सारकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है। इसके साथ ही शाहबाज शरीफ ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री को स्पीकर बनाएंगे।

पाकिस्तान की संसद शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को नया स्पीकर नियुक्त करने और इमरान खान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के पक्ष में काम करने वाले डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के 71 वर्षीय अशरफ को आज पद की शपथ दिलाई जा सकती है क्योंकि शुक्रवार दोपहर 12 बजे की समय सीमा तक उनके खिलाफ किसी अन्य उम्मीदवार की तरफ से नामांकन पत्र जमा नहीं किया गया था। अपदस्थ प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने में विफल रहने के बाद 9 अप्रैल को असद कैसर के इस्तीफा देने के बाद अध्यक्ष का पद खाली हो गया। अशरफ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता हैं जो कि पाकिस्तान के प्रधान मंत्री भी रह चुके हैं और वर्तमान गठबंधन सरकार के प्रमुख सहयोगी भी हैं। 

नेशनल असेंबली इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के सदस्य और डिप्टी स्पीकर सूरी के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी, जो इस वक्त कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं। पीटीआई ने घोषणा किया है कि, सूरी ने 123 एमएनए के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं औऱ नेशनल असेंबली सचिवालय ने भी इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी।

बताते चलें कि, इस वक्त नई सरकार के सामने कई सारी चुनौतियां हैं जिसमें से सबसे बड़ी चुनौती गिरती हुई इकॉनमी है। इसके साथ ही रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान की नई सरकार आंतरिक चर्चा कर रही है कि फ्यूल और पॉवर सब्सिडी को वापस ले लिया जाए। शाहबाज शरीफ से पहले पीएम इमरान खान ने सत्ता में बने रहने और लोगों के समर्थन पाने के लिए वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद फरवरी में पेट्रोल और बिजली दरों में कटौती की घोषणा की थी। इससे हुआ ये कि पाकिस्तान सरकार पर 373 बिलियन डॉलर का बोझ बढ़ गया है। इससे चल रहे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बचाव कार्यक्रम को भी खतरे में डाल दिया है। यह जानकारी पाकिस्तान सरकार के टॉप अधिकारी ने दी है।