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Ukraine जंग के बीच America ने तो लंबा खेल कर दिया! जिसपर भारत को चेतावनी दी उसी पर रूस से कर रहा सौदा

दुनिया को गला फाड़-फाड़ कर धमकाने वाले अमेरिका की खुली पोल

अमेरिका इस वक्त दुनिया भर के देशों को धमकी दे रहा है कि कोई भी रूस की मदद या उसके साथ किसी भी तरह का व्यापार या संबंध न रखे। साथ ही यूक्रेन और उसका साथ देने के लिए कहा है। अमेरिका का कहना है कि जो भी रूस के साथ गया उसे अंजाम भुगतना होगा। जंग के बीच पश्चिमी देशों ने रूस के प्रति कड़े से कड़े प्रतिबंद लगा दिए। जिसमें रूसी तेल पर बैन भी शामिल है। चूंकी रूस और भारत के बीच दोस्ती सदियों पुरानी है तो जब मॉस्को ने नई दिल्ली से तेल खरीदने के लिए कहा तो वो मना नहीं कर सका। अब यहीं से अमेरिकी की राजनीति शुरू हो गई। अमेरिका के आंखों में खटकने लगा कि भारत कैसे तेल खरीद लिया। लेकिन, असली हकीकत तो यह है कि यही अमेरिका भारत से ज्यादा तेल खरीदा है। यह बेहद चौकाने वाला खुलासा है।

जो अमेरिका गला फाड़-फाड़ कर दुनिया से रूसी तेल खरीने से मना कर रहा है वही भारत से भी भारी मात्रा में तेल खरीदा है। इसके साथ ही अधिकांश देशों ने भारत से रूस से तेल खरीदने पर रोक लगाने की अपील की। हालांकि, भारत ने सबसे पुराने दोस्त के साथ अपने रिश्ते बनाए रखा। रूस के खिलाफ एक्शन के लिए भारत पर लगातार दबाव बनाने वाले अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध के बाद भारत की तुलना में अधिक जीवाश्म ईंधन खरीदे हैं। थिंक-टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक रिपोर्ट ने संघर्ष शुरू होने के बाद के महीनों में भारत और मिस्र में रूसी तेल शिपमेंट में तेजी दिखाई है। स्थिति बदलने के लिए तैयार है।

भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि, भारी छूट (कुछ पश्चिमी एजेंसी की रिपोर्ट में $30 प्रति बैरल के रूप में आंकी गई है) भारतीय खरीदारों के लिए इतनी आकर्षक नहीं हो गई है क्योंकि उन्हें डिलीवरी लेने और फिर इसे शिप करने के लिए कहा जा रहा है। सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि, तेल खरीदने के लिए शिपिंग लागत, बीमा और युद्ध प्रीमियम जोड़ने की जरूरत है। इसके बाद यह मुनाफे का सौदा नहीं रह जाता है। वहीं, रूसी अधिकारियों ने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि वे कच्चे तेल पर छूट की पेशकश करने को तैयार हैं क्योंकि वे उन प्रतिबंधों से जूझ रहे हैं जो ऊर्जा, भोजन और फार्मा उत्पादों पर लागू नहीं होते हैं।

भारत की सरकारी कंपनियों और निजी क्षेत्र की रिलायंस ने संघर्ष शुरू होने के बाद से कुल 30 मिलियन बैरल रूसी क्रूड खरीदा था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य यूरोपीय नेताओं ने इसकी तीखी आलोचना की थी। युद्ध समाप्त करने और कूटनीति की वकालत करते हुए भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि वह अपने हितों की रक्षा करता रहेगा। अब नई रिपोर्ट के मुताबिक, जंग के दो महीनों में रूस द्वारा निर्यात किए गए 63 बिलियन यूरो मूल्य के जीवाश्म ईंधन का 70 फीसदी जर्मनी के साथ यूरोपीय देशों को निर्यात किया गया था। भारत के मामले में, अप्रैल के पहले तीन हफ्तों में जनवरी-फरवरी की तुलना में कोयले की शिपमेंट में 130% और कच्चे तेल के लिए 340% की छलांग थी।