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PAK की अर्थव्यवस्था का China ने दबा दिया गला , दोस्त को ही कंगाली के दलदल में धकेल रहा ड्रैगन

PAK की अर्थव्यवस्था का China ने दबा दिया गला

पहले ही पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा था। देश आर्थिक संकट की चौतरफा मार झेल रहा था। प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ एक एक देश से भीक मांग मांग कर तो अपना देश इतना चला पा रहे थे , की इसी बीच एक और संकट आ गया। पूरा पाकिस्तान आग की नज़र हो गया है। पुरे पाक में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ़्तारी के बाद घमासान मचा हुआ है। देख कर लग रहा है की पूरा देश ही ख़ाक हो जाएगा ,चारो तरफ सिर्फ आग की तेज़ लपटें हैं। ऐसे में पाकिस्तान का दोस्त कहे जाने वाले चीन ने और कसर पूरी करदी है।

पाकिस्तान को China ने दिया “डुबोने वाला जहाज”

दोस्त चीन (China) को पहले से ही डूबते पाकिस्तान पर जरा भी तरस नहीं आया। चीन (China) ने पाक को इसी दौरान “डुबोने वाला जहाज” दे दिया है। यानि चीन का यह जहाज खरीदने के बाद पाकिस्तान और अधिक कर्ज में डूब जाएगा। ऐसे में यह युद्धपोत सबसे पहले पाकिस्तान को ही आर्थिक मोर्चे पर परास्त करने का काम करेगा। चीन (China) ने अपने दोस्त पाकिस्तान को पहले भी कई तरह का कर्ज दे रखा है। इसके बदले में ड्रैगन ने उसकी तमाम संपत्तियों को एक तरह से गिरवी रख लिया है, लेकिन इस दौरान एक बार फिर चीन ने किसी तरह सांसे ले रहे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का सीधे गला दबाने का काम किया है।

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दरअसल चीन (China) ने पाकिस्तानी नौसेना को दो छोटे नौसैन्य जहाजों की आपूर्ति की है। अब तक ड्रैगन ने इस तरह के चार पोत के ‘ऑर्डर’ को पूरा कर दिया है। यहां सरकारी मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी। सरकार संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स’ की खबर में कहा गया है कि दो ‘टाइप 054ए/पी’ जहाजों की चीन द्वारा आपूर्ति की गई है। इससे संकेत मिलता है कि इस श्रेणी के सभी चार युद्धपोत को पाकिस्तानी नौसेना में शामिल कर लिया गया है।

इन युद्धपोतों को खरीद पाने की स्थिति में फिलहाल पाकिस्तान नहीं है

अखबार की खबर के अनुसार, बुधवार को शंघाई में हुदोंग झोंगुगा शिपयार्ड में आयोजित समारोह में पीएनएस टिप्पू सुल्तान और पीएनएस शाहजहां नाम की जहाजों को नौसेना में शामिल किया गया। चीन की यात्रा पर आये पाकिस्तानी नौसेना के प्रमुख एम अमजद खान नियाजी ने इस अवसर पर कहा कि इससे दोनों देशों के बीच विश्वास, सम्मान और परस्पर सहयोग के एक नये अध्याय की शुरुआत जरूर हुई है, लेकिन इन युद्धपोतों को खरीद पाने की स्थिति में फिलहाल पाकिस्तान नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान का कर्ज बढ़ सकता है, जो आगे चलकर उसकी लड़खड़ाई अर्थव्यस्था को और अधिक कमजोर बना सकता है।