ये बात वर्ष 1990 के दौरान की है जब चीन और भारत के बीच एक समझौता हुआ था। चीन-भारत सीमा (China) समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति लाना था। जिसके तहते, सीमाई क्षेत्रों में सेनाओं का लाना प्रतिबंधित किया गया। सीमा के आसपास के क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं नहीं आ सकती। भारत ने इस समझौते का बखूबी से पालन किया लेकिन, चीन China) ने नहीं। चीन 2020 के बाद से अबतक लगातार उल्लंघन करता आ रहा है। वर्ष 2020 में चीन (China) जबरन गलवान घाटी में घुस आया जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए तो वहीं चीन के 40 सैनिकों की जान गई। चीन इस संख्या को छुपाता रहा लेकिन बाद में इसका खुलासा सैटेलाइट तस्वीरें के जरिए हुआ। वहीं, भारत लगातार चीन से कह रहा है कि सीमा पर शांति के बाद ही रिश्ते में सुधार आ सकती है। अब एक बार फिर से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि, चीन सीमा समझौतों का सम्मान नहीं कर रहा है।
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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस वक्त ब्राजील, पराग्वे और अर्जेंटीना के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने ब्राजील में भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की। ब्राजील के साउ पाउलो में भारतीय समुदाय की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा है चीन सीमा समझौतों का सम्मान नहीं कर रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गलवान घाटी में हुई झड़प का असर अभी भी दोनों देशों के रिश्तों पर मौजूद है।
ताली सिर्फ एक साथ से नहीं बजती
एस जयशंकर ने वर्ष 1990 में भारत और चीन के बीच हुए सीमा समझौते को लेकर कहा कि, चीन के साथ हमने समझौता किया था। जिसके मुताबिक सीमाई क्षेत्रों में सेनाओं का लाना प्रतिबंधित है, लेकिन चीन इसका पालन नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि आप सभी लोगों ने देखा कि गलवान घाटी में क्या हुआ? वहां पर जो घटना हुई उसकी परछाई आज तक हमारे रिश्तों पर है। उन्होंने कहा कि, ताली सिर्फ एक हाथ से नहीं बजती है। इसके लिए जरूरी है कि दोनों तरफ से रिश्ते निभाए जाएं। इस मौके पर एस जयशंकर ने भारतीय समुदाय के लोगों को धन्यवाद भी अदा किया। उन्होंने कहा कि यहां के भारतीय लोग दोनों देशों के रिश्तों में सहयोग की भावना विकसित कर रहे हैं।
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एस जयशंकर ने कहा कि, वो हमारे पड़ोसी हैं। हर कोई चाहता है कि पड़ोसियों के साथ रिश्ते अच्छे हों। चाहे बात व्यक्तिगत जीवन की हो या फिर बतौर देश। लेकिन हर रिश्ते की एक मूलभूत शर्त होती है। आप मेरा सम्मान कीजिए, मैं आपका सम्मान करूंगा। उन्होंने कहा कि, हमारी तरफ से बात बिल्कुल स्पष्ट है। हम ऐसे ही संबंध बनाते हैं, जहां रिश्तों में आपसी सम्मान हो। इसके साथ हम दूसरे पक्ष से भी उम्मीद करते हैं वह भी ऐसा ही सोचता हो।
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