दुनिया में इस वक्त भारत की महत्वता काफी ज्यादे बढ़ गई है। हर एक मामले में भारत की राय सुनना जरूर हो गया है। जब भी दुनिया के नेता एक जगह इकट्ठा होते हैं तो भारत को जरूर इसमें शामिल किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने भारत की छवी अलग ही बना दी है। अब तो आलम यह है कि चीन भी भारत की जमकर तारीफ कर रहा है। चीन ऐसे समय में भारत की तारीफ करनी शुरू की है जब दोनों देशों के बीच एलवोसी पर सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। चीन ने भारत को लेकर अपनी रणनीति अचानक बदल दी है। इसके साथ ही अमेरिका को जमकर खरी-खोटी सुनाया है।
दरअसल, रूस और यूक्रेन जंग को लेकर भारत ने जो अपनी रूख अपनाई है उसी की चीनी मीडिया जमकर तारीफ कर रही है। कुछ दिनों पहले रूस-यूक्रेन जंग को लेकर पीएम मोदी और यूएस प्रसिडेंट जो बाइडन को लेकर जो वर्चुअल मीटिंग हुई थी चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स इसी मीटिंग में जो पीएम मोदी ने अपनी बात रखी थी उसी की तारीफ कर रहा है। चीन ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा है कि, अमेरिका को उभरती हुई शक्तियों से पेश आने का तरीका सीखना चाहिए।
US-इंडिया टू-प्लस-टू वार्ता के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत के मानवाधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी की थी, जिसका भारत ने अच्छे से जवाब दिया था। इसी को लेकर ग्लोबल टाइम्स ने भारत के रुख की तारीफ करते हुए यूएस को फटकार लगाई है। चीनी अखबार ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, आजाद भारत को मानवाधिकारों पर भाषण देने का अमेरिका को कोई अधिकार नहीं है। अमेरिका भारत को अपना ग्राहक देश समझना बंद करे। इसके आगे कहा है कि, यूएस अपनी महान नैतिकता को अपने पास रखे और उभरती हुई शक्तियों से ठीक ढंग से पेश आना सीखे।
चीन इससे पहले भी भारत की तारीफ कर चुका है। ग्लोबल टाइम्स ने इससे पहले रूस-यूक्रेन मुद्दे पर भारत के न्यूट्रल रुख की तारीफ करते हुए अपने अखबार में एक लेख छापा था। जिसमें चीनी विशेषज्ञों ने कहा था कि भारत ने जो स्टैंड लिया है, वो उसके लिए फायदेमंद है।
गौरतलब हो कि, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि, भारत और अमेरिका मानवाधिकार के लोकतांत्रिक मुद्दों पर प्रतिबद्धता साझा करते हैं। हमारी भारत में मानवाधिकार उल्लंघन की कुछ घटनाओं पर कड़ी नजर है। भारत की कुछ सरकारों, पुलिस और जेल अधिकारियों की तरफ से मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। उनकी इस टिप्पणी पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, भारत भी अमेरिका में मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने स्प्ष्ट किया कि, टू-प्लस-टू वार्ता में दोनों देशों के बीच मानवाधिकार के मुद्दे पर बात नहीं हुई है और यदि ऐसा आगे होता है तो भारत इस पर बात करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।