भारत अब पड़ोसी दुश्मन मुल्कों जैसे चीन और पाकिस्तान (China-Pakistan) की हेकड़ी निकालने के लिए कई ऐसे हथियार और रक्षा उपकरण बनाने में रमा हुआ है, जो पूरी दुनिया को हैरत में डालने वाले हैं। इन हथियारों की लिस्ट वैसे तो लंबी-चौड़ी है, लेकिन हम आपको पांच ऐसे हथियारों के बारे में बता रहे हैं जो बहुत ज्यादा खतरनाक साबित होंगे। इन हथियारों के होते हुए दुश्मन सपने में भी हमारी सीमा में घुसने की नहीं सोचेगा। तो जानिए…
हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल
भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार बना रहा है और इसका परीक्षण भी किया जा चुका है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था। इसे एचएसटीडीवी (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं। हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है। जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं।
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल
रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं। इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करता है। इसकी रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी। लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी। यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी। इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से दागा जा सकेगा।
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स यानि DEW ऐसे हथियार होते हैं जो किसी खास प्रकार की ऊर्जा को एकत्रित करके पूरी ताकत के साथ किसी एक टारगेट पर हमला करते हैं। इससे वह टारगेट या तो जल जाता है। या फिर उसकी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक, संचार सिस्टम, नेविगेशन प्रणाली आदि बेकार हो जाती हैं। इससे वह दिशा भ्रमित हो जाता है। अपने बेस से कनेक्ट नहीं कर पाता है। DEW से दो तरह के हमले किए जाते हैं। पहला लेजर लाइट और दूसरा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें।
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नौसैनिक जहाज पर तैनात होंगे ड्रोन
भारतीय नौसेना अपने जंगी जहाजों पर ड्रोन्स यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल की मांग कई वर्षों से कर रही थी। जिसे पिछली साल केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी। अब भारतीय नौसैनिक जंगी जहाजों पर 10 नेवल शिपबॉर्न यूएवी की तैनाती की जाएगी। इसके लिए सरकार ने करीब 1300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। इससे पहले नौसेना ने दो प्रीडेटर ड्रोन्स को लीज पर लिया था।
हल्के टैंक
भारतीय सेना पहले रूस के हल्के टैंक स्प्रट के बारे में विचार कर रही थी। लेकिन अब डीआरडीओ और लार्सन एंड टुब्रो मिलकर वज्र हॉवित्जर तोप को हल्के टैंक में बदलने का प्रयास कर रहे हैं। 155 मिलीमीटर कैलिबर वाले वज्र हॉवित्जर से बनाए गए हल्के टैंक का फायदा ये होगा कि उसे ऊंचाई वाली रणभूमि तक पहुंचाया जा सकेगा। चीन से हुए पिछले संघर्षों के दौरान इसकी कमी महसूस हुई थी।
भारतीय मल्टी रोल हेलिकॉप्टर
भारतीय मल्टी रोल हेलिकॉप्टर एक मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर होगा। जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बना रही है। इसकी पहली उड़ान की संभावना 2024-25 है। इसका उपयोग हवाई हमले, एंटी-सबमरीन, एंटी-सरफेस, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट और वीआईपी ट्रांसपोर्ट में किया जाएगा। इनके आने के बाद रूस के Mi-17 और Mi-18 को धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा। इनका पांच पत्तियों वाला मुख्य पंखा होगा और चार ब्लेड वाला रोटर पीछे पूंछ पर होगा।