पाकिस्तान की राजनीति में इस वक्त काफी उथल-कूद मची हुई है। इमरान खान सरकार की अब तब लगी हुई है। विपक्षी दल इस वक्त इमरान खान के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं। देश में बढ़ती महंगाई, विश्व कर्ज के अलावा कई और मुद्दों पर विपक्ष ने घेर रखा है और अब अविश्वास प्रस्ताव में तय हो जाएगा कि इमरान खान सत्ता में रहेंगे या फिर नहीं। हालांकि, 28 मार्च होने वाला अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बताया जा रहा है कि इमरान खान की सरकार जानी तय है। इसमें एक संकेत जनरल बाजवा ने भी दे दिया है।
इमरान खान के विपक्ष पाक नेशनल असेंबली 'संसद' में उनके खिलाफ 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। इसे देखते हुए इमरान भड़कने लगे हैं। उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव से पहले 27 मार्च को 10 लाख लोगों के साथ इस्लामाबाद के 'डी चौक' में प्रदर्शन का एलान कर दिया है। वहीं, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मौजूदा सियासी संकट के दौरान तटस्थ रहने का फैसला कर पीएम इमरान खान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। एक रिपोर्ट की माने तो, इस बार इमरान खान की मुसीबत इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि साझा विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का विरोध उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (PTI) से अलग हुआ धड़ा भी इसका समर्थन कर रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि इमरान की उल्टी गिनती शुरू होने का वक्त आ गया है। रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय भी इस बार देश के ताजा सियासी संकट के दौरान चुप्पी साधे रखेगा। इससे लगता है कि पीएम इमरान खान यह घाटी पार नहीं कर सकेंगे।
पाकिस्तान मीडिया में जो खबरें चल रही हैं उसके मुताबिक विपक्ष दो विकल्पों पर विचार कर रहा है। पहला यह कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) शहबाज शरीफ के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनाए और आम चुनावों का आह्वान किया जाए। दूसरा यह की पांच साल के लिए राष्ट्रीय सरकार बनाना, क्योंकि, पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। माना जा रहा है कि, शाहबाज के भाई और निर्वासित नेता नवाज शरीफ जल्द चुना के मक्ष में हैं। वहीं, यह देख कर इमरान खान की रातों की नींद हराम हो गई है। वो विपक्ष के नेताओं को भला-बुरा कह रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि, वह अविश्वास प्रस्ताव के एक दिन पहले 27 मार्च को 10 लाख लोगों के साथ इस्लामाबाद के डी चौक में प्रदर्शन करेंगे।