Hindi News

indianarrative

बांग्लादेश में फिर लौटेगा 1972 का संविधान! हिंदुओं पर हमलों के बीच दोहराया जाएगा इतिहास, सुनें मंत्री का बयान

courtesy google

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हिंदू मंदिरों और श्रद्धालुओं पर जानलेवा हमले की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में हिंदुओं के घरों में आग लगाने का मामला सामने आया है। वहीं पिछले हफ्ते ही दुर्गा पंडाल पर हमले की घटना ने भी पूरा देश को हिला दिया था। जिसके बाद से ही बांग्लादेश का माहौल गर्म है। हर कोई बांग्लादेश को हिंदुओं के लिए असुरक्षित देश कह रहा हैं। इस बीच बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन का एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश धार्मिक कट्टरपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता है। 

यह भी पढ़ें- Anushka Sharma ने UAE में कराया हेयर कट, पति विराट कोहली और बेटी वामिका संग कर रही लंच, फोटो वायरल

बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने कहा है कि बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान द्वारा बनाए गए 1972 के संविधान की ओर वापस लौटेगा। बांग्लादेश धार्मिक कट्टरपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता है। हमारी रगों में स्वतंत्रता सेनानियों का खून बह रहा है। किसी भी कीमत पर हमें '1972' के संविधान पर वापस लौटना होगा। मैं बंगबंधु के संविधान पर वापस लौटने के लिए संसद में बोलूंगा। कोई ना बोलेगा तो भी मुराद संसद में बोलेगा।' मुराद हसन से पहले सूचना राज्य मंत्री ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने कहा था कि बांग्लादेश का धर्म इस्लाम नहीं है।

यह भी पढ़ें- Mumbai Cruise Drugs Party: सलाखों के भीतर ही कटेंगी आर्यन की रातें, मुंबई सेशन कोर्ट ने नहीं दी जमानत

बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के हमले को लेकर बाग्लादेशी मूल की लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पीएम शेख हसीना वाजेद पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट में लिखा- 'बांग्लादेश का नया नाम 'जिहादिस्तान' है। पूरे देश में जिहादियों द्वारा हिंदू पूजा पंडालों, मूर्तियों, मंदिरों, घरों, दुकानों में तोड़फोड़ की गई है। मीडिया को पीएम हसीना द्वारा हिंदू उत्पीड़न के बारे में चुप रहने के लिए कहा गया था। वह जिहादियों की माँ और जिहादिस्तान की रानी रह चुकी हैं।' आपको बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश के कॉमिला जिले ननुआ दिघी में दुर्गा पूजा के पंडाल में जमकर तोड़फोड़ की गई थी। आरोप लगाया गया कि कुरान का अपमान किया गया था। इसके बाद से कट्टरपंथियों की भीड़ ने हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने इस्कॉन मंदिर में तोड़फोड़ की।