सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, फ़ेसबुक की मूल कंपनी मेटा पर यूरोपीय संघ के नियामकों द्वारा फ़ेसबुक के यूरोपीय संघ के उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वर पर स्थानांतरित करने के लिए 1.3 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया है।
यह जुर्माना यूरोप के सिग्नेचर डेटा गोपनीयता क़ानून के तहत अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है, जिसे जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) के रूप में जाना जाता है, 2021 में अमेज़न के ख़िलाफ़ 805.7 मिलियन का जुर्माना लगाया गया था,जो कि पिछला रिकॉर्ड जुर्माना था।
मेटा को छह महीने के भीतर संयुक्त राज्य अमेरिका में यूरोपीय यूज़र्स के व्यक्तिगत डेटा के प्रोसेसिंग को रोकने का भी आदेश दिया गया है।
यूरोपीय डेटा संरक्षण बोर्ड के अध्यक्ष, एंड्रिया जेलिनेक ने कहा कि मेटा का यह उल्लंघन “बहुत गंभीर है, क्योंकि यह उन स्थानांतरणों से संबंधित है, जो व्यवस्थित, बार-बार किये जा रहे और निरंतर हुए हैं।” ।
उन्होंने कहा,”फ़ेसबुक के यूरोप में लाखों यूज़र्स हैं, इसलिए स्थानांतरित किए गए व्यक्तिगत डेटा की मात्रा बहुत अधिक है। अभूतपूर्व रूप से लगाया गया यह जुर्माना इस तरह के संगठनों के लिए एक मज़बूत संकेत है कि गंभीर उल्लंघनों के दूरगामी परिणाम होते हैं।”
मेटा ने कहा है कि वह इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करेगी और यूरोप में फ़ेसबुक पर तत्काल कोई व्यवधान नहीं होगा।
कंपनी ने कहा कि डेटा तक पहुंच और यूरोपीय लोगों के गोपनीयता अधिकारों पर अमेरिकी नियमों के बीच “कानून के संघर्ष” से उपजी समस्या ही इसकी जड़ है। यूरोपीय संघ और अमेरिका के नीति निर्माता एक नये ट्रान्साटलांटिक डेटा गोपनीयता ढांचे के तहत इस संघर्ष को हल करने के लिए “स्पष्ट मार्ग” पर थे।
मेटा के वैश्विक मामलों के अध्यक्ष निक क्लेग और कंपनी के मुख्य क़ानूनी अधिकारी जेनिफ़र न्यूस्टेड ने एक बयान में कहा, “यूरोपीय डेटा संरक्षण बोर्ड ने इस अंतर्निहित मुद्दे को हल करने के लिए नीति निर्माताओं द्वारा की जा रही स्पष्ट प्रगति की अवहेलना का विकल्प चुना।”
उनका कहना है,”यह निर्णय त्रुटिपूर्ण, अनुचित है और अनगिनत अन्य कंपनियों के लिए यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच डेटा स्थानांतरित करने को लेकर एक ख़तरनाक़ मिसाल क़ायम करता है।”
“डेटा को बॉर्डर के पार स्थानांतरित करने की क्षमता एक तरह का बुनियादी सिद्धांत है,जो दिखाता है कि वैश्विक खुला इंटरनेट कैसे काम करता है। हज़ारों व्यवसाय और अन्य संगठन यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच डेटा को स्थानांतरित करने की क्षमता पर भरोसा करते हैं, ताकि लोगों द्वारा हर दिन उपयोग की जाने वाली सेवाओं को संचालित किया जा सके और सेवायें प्रदान की जा सके।”
तकनीक की दिग्गज यह कंपनी भारत में भी विवादों में रही थी, क्योंकि यह डेटा सुरक्षा के लिए उन्हीं नियमों का पालन नहीं कर पार ही है, जो पश्चिम में आवश्यक हैं। व्हाट्सएप भी मेटा के ही स्वामित्व में है, उसने भारत में अपने यूज़र्स को मजबूर करने की कोशिश की थी कि अगर वे ऐप का उपयोग करना चाहते हैं, तो वे अपने व्यक्तिगत डेटा को फ़ेसबुक के साथ साझा करने की अनुमति दें।
कंपनी को रोकने के लिए अधिकारियों को आगे आना पड़ा और इस मुद्दे पर अदालती मामले भी दायर किए गए।