ऐसा लगता है कि इमरान खान की आतंकियों के खिलाफ बयानबाजी काम नहीं आई, एक तरफ तो इमरान खान आतंकियों के खिलाफ एक्शन की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर आतंकियों से हाथ मिलाते हैं, जिसपर FATF की कड़ी निगरानी से वो बच नहीं पाए। पाकिस्तान को दाउद-हाफिज सईद और अजहर मसूद जैसे आतंकियो को पालना भारी पड़ा गया क्योंकि, FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया है। अब इसके बाद पाकिस्तान की रीढ़ की हड्डी लगभग टूट जाएगी क्योंकि, पाकिस्तान में इस वक्त महंगाई आसमान छू रही है, पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने के तेल के दाम तक में आग लगी हुई है। खाने के तेल तो 400 रुपए प्रति लीटर पहुंच गए हैं। ऐसे में अब पाकिस्तान का हाल और बुरा होने वाला है।
बताते चलें कि, FATF की तीन दिन तक पेरिस में चली मीटिंग के बाद पाकिस्तान को लेकर ये फैसला लिया गया है जिसके बाद अब पाकिस्तान को अप्रैल 2022 तक ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा। पाकिस्तान को पहली बार जून 2018 में इस लिस्ट में डाला गया था, तब से लेकर अब तक यह इससे बाहर नहीं निकल पाया है, हालांकि, इमरान खान ने कई बार कोशिश की लेकिन नाम रहे।
पहले से आर्थिक तंगी और कई परेशानियों से घिरे पाकिस्तान और इमरान खान के लिए ग्रे लिस्ट पाकिस्तान का जाना बहुत बड़ी मुसीबत है। पाक को पहले से ही आंतराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF), वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपियन यूनियन से आर्थिक मदद हासिल करने में मुश्किलों का सामना कर रहा है, अब ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने से उसकी मुसिबतें कई गुना बढ़ गई हैं।
पाकिस्तान के ही कई मंत्री और अधिकारियों को इस बात का अंदाजा हो गया है कि, देश की आर्थिक हालत चौपट होने वाली है। देश में बिजनेस करने वाली इंटरनेशनल कंपनियां, बैंक और उसे कर्ज देने वाली कंपनियां जो पहले से ही कतरा रही थीं, अब यहां पर इनवेस्ट करने से पहले सोचेंगी। पाकिस्तान को व्यापार को भी खासा नुकसान होगा। चावल, कपास, संगमरमर, कपड़े, आलू और प्याज जैसी चीजों के निर्यात में भी उत्पादकों को तगड़ा घाटा होगा। कुल मिलाकर ये हल निकलता है कि तालिबानियों और आतंकियों के हित में जो बढ़-चढ़ कर इमरान खान अपनी भागिदारी निभा रहे थे उसका हर्जाना अब पाकिस्तान की आवाम को भूगतना पड़ेगा, महंगाई वैसे ही देश की कमर तेड़ रखी है और अब आगे लोगों को जीना मुश्किल हो जाएगा।