आतंकी गतिविधी और भारत के खिलाफ जहर उगलने की सजा पाकिस्तान और उसके देश तुर्की को मिली है। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों के वित्तपोषण को रोकने में विफल रहा है और आतंकवाद के खिलाफ कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की है, इसलिए इस बार भी उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखा गया है। मगर इस बार इस सूची में आतंक के आका का दोस्त तुर्की भी शामिल हो गया है। यानी अब एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्की भी है।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान एफएटीफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लीयर ने कहा था कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था, न कि केवल एक देश ने यह फैसला सुनाया। निर्णय की घोषणा करते हुए उन्होंने वैश्विक वित्तीय प्रहरी यानी एफएटीफ के निर्णय के संबंध में किसी भी संभावित राजनीतिक साजिश की रिपोर्टों को खारिज कर दिया था। इस्लाम खबर के मुताबिक, यह कहा गया है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में स्थानांतरित करने का मामला हमेशा से मजबूत रहा है और अब तुर्की के इस लिस्ट में जाने से और भी मजबूत हो गया है। पाकिस्तान को तुर्की से जो अब तक समर्थन मिलता आ रहा था और जिसकी वजह से वह ब्लैक लिस्ट में जाने से बचा रहा, अब तुर्की के ग्रे लिस्ट में खिसकने से वह महत्वपूर्ण समर्थन नहीं मिल पाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की के बाद एफएटीएफ में पाकिस्तान के एकमात्र अन्य दृढ़ समर्थक चीन और मंगोलिया हैं। और जब तक पाकिस्तान तीसरे सदस्य का समर्थन प्राप्त करने में सक्षम नहीं होता है, तब तक ब्लैक लिस्टिंग से बचना मुश्किल होगा। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि एफएटीएफ के मार्च-अप्रैल वाले सत्र में पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में शामिल हो जाएगा।
क्या है एफएटीएफ
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ एक इंटरनेशनल निगरानी निकाय है, जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखना और कार्रवाई करना है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।