जंग तो रूस और यूक्रेन के बीच चल रही है लेकिन मुसीबतों का पहाड़ पाकिस्तान पर टूट पड़ा है। फाईनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। इसका मतलब यह है कि चीन की भीख (आर्थिक मदद) के बाद भी पाकिस्तान के हालात बद से बदतर बनी रहेंगी। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर न आने की वजह से हर साल 3 बिलियन से ज्यादा डॉलर का नुकसान हो रहा है। पाकिस्तान की ऐसी हालत क्यों बनी हुई है और पाकिस्तान के माथे से आतंकी नेशन का तगमा क्यों नहीं हट रहा है, इसका कारण है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रोसक्राइब्ड आतंकियों को सजा देने के बजाए उनकी मिजाजपुर्सी जरूर की है। कुछ खतरनाक आतंकवादियों को तो बाकायदा सिक्योरिटी भी प्रोबाइड की गई है। कुछ आतंकियों को आर्मी के सेफ हाउसेस में रखा गया है।
जून 2018 से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी शर्तों को पूरा न करने के कारण पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। चार दिवसीय FATF की बैठक एक मार्च शुरू हुई थी। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात को भी ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है।
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018, 2019, 2020, अप्रैल और अक्टूबर 2021 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाकिस्तान एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है। एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं। जिस कारण से इन दोनों देशों को बाहर से निवेश पाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने में काफी परेशानी होती है।
ध्यान रहे, पाकिस्तान ने भारत के वांछित आतंकियों को आईएसआई और पाकिस्तानी आर्मी की सेफ क्वार्टर में रखा है। इनमें दाउद इब्राहीम, मौलाना मसूद अजहर, हाफिज सईद और लखवी जैसे तमाम आतंकी है। भारत ने एफएटीएफ के सामने इन जैसे आतंकियों और उनके गिरोहों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की है। इसके अलावा आतंकियों के गिरोहों को पाकिस्तान से वित्तीय मदद मिलना अभी तक जारी है। पाकिस्तान की इमरान सरकार उन रास्तों को बंद नहीं कर पाई है जहां से आतंकियों को पैसा-प्रशिक्षण और हथियार मिल रहे हैं।