सोमवार से बुधवार तक कोई कर्फ़्यू नहीं था, कोई हड़ताल नहीं थी, कोई इंटरनेट शटडाउन नहीं था, कोई कारोबार या स्कूल बंद नहीं थे, और पैदल चलने वालों या वाहनों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध भी नहीं था।
इस G-20 सम्मेलन में 20 देशों में से 17 के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। चीन इससे दूर रहा, जबकि सऊदी अरब और तुर्की ने निजी व्यापार प्रतिनिधियों को भेजा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने हाल ही में गोवा में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में विश्व नेताओं को इस सम्मेलन से दूर रहने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि यह “विवादित क्षेत्र” में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने 1948-49 के यूएनएससी प्रस्तावों का उल्लेख किया, जिसमें कश्मीर समस्या का ‘जनमत संग्रह’ के माध्यम से समाधान की मांग की गयी थी।
ज़रदारी ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर भारत ने श्रीनगर में सम्मेलन किया, तो पाकिस्तान ऐसा जवाब देगा, जिसे “लंबे समय तक याद रखा जायेगा।”
अब जबकि श्रीनगर में तीन दिवसीय टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक लगभग पूरी उपस्थिति के साथ और हिंसा या विरोध की एक भी घटना के बिना शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हो गयी है। इसे व्यापक रूप से कश्मीर पर भारत की उल्लेखनीय कूटनीतिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
एक राजनीतिक कार्यकर्ता शुबी जान का कहना है कि इस तरह की बैठक जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मददगार है। वह कहती हैं कि इससे युवाओं को रोज़गार के अवसर मिलते हैं और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है।
G-20 बैठक पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वुसु चैंपियन सादिया तारिक़ का कहना है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद केंद्र जम्मू और कश्मीर में राजमार्गों और पुलों के निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार और शिक्षा तथा खेल पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए ज़बरदस्त काम कर रहा है।
#Watch: After the abrogation of Article 370 in Kashmir the centre is doing tremendous work to improve infrastructure by making highways and bridges and focusing more on education, and sports: Wusu Champion, Sadia Tariq#G20JammuKashmir pic.twitter.com/r7gM2doJ0G
— INDIA NARRATIVE (@india_narrative) May 23, 2023
भारत के केंद्र शासित प्रदेश की एक आम नागरिक, परविंदर कौर ने सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में इस तरह की पहली अंतर्राष्ट्रीय बैठक आयोजित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो युवाओं को रोज़गार पाने में मदद करती है और अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करती है।
#Watch: Jammu and Kashmir | I am very happy that the G20 meeting is being organised in J&K which would help the UT to attract more tourists and the youths to get employment: Parvinder Kaur, Common Citizen #G20JammuKashmir pic.twitter.com/BHgfrhR1W3
— INDIA NARRATIVE (@india_narrative) May 23, 2023
यदि हम इतिहास में जायें, तो हम जानते हैं कि 1978-80 में शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री रहते हुए कश्मीर ने अपना पहला ‘अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर’ बनाया था। लेकिन, वहां कभी कोई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नहीं हुआ।
37-40 साल पहले सिर्फ़ दो अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए गए थे: पहला, 1983 में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच एक क्रिकेट मैच, और दूसरा, 1986 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक क्रिकेट मैच।
अमेरिका के समर्थन से पाकिस्तान, घाटी को बंज़र बनाने के लिए ज़िम्मेदार था। उन्होंने कहा था कि जम्मू और कश्मीर “विवादित” है और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार एक प्रस्ताव लंबित है।
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो और इंदिरा गांधी द्वारा ‘युद्धविराम रेखा’ को ‘नियंत्रण रेखा’ में बदलने और 1972 में शिमला में द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सभी मुद्दों को हल करने पर सहमत होने के बाद भी यह शेख़ी जारी रही। बिलवाल की मां और ज़ुल्फ़िकार की 19 साल की बेटी बेनज़ीर भी तब मौजूद थीं।
बिलावल बयानबाज़ी की विरासत के साथ पैदा हुए हैं। उनके दादा ने यूएनएससी में ग़ुस्से में काग़ज़ात फाड़ दिए थे। उन्होंने भारत के साथ “100 साल लंबे युद्ध लड़ने” की धमकी दी थी। जल्द ही उनका देश दो टुकड़ों में बंट गया था।
1990 में मुज़फ़्फ़राबाद में उनकी मां ने एक रैली में चिल्लाकर कहा था कि “कश्मीर का हर बच्चा” भारत से लड़ेगा और “आज़ादी, आज़ादी, आज़ादी” का जाप करेगा। तीन दशक बाद उनके उत्तराधिकारी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पाकिस्तान को सेना और अमेरिका,दोनों से ‘आजादी’ बात कह रहे हैं।
यदि हम पाकिस्तान में आज की स्थिति को देखें, तो यह दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, चाहे वह राजनीतिक संकट हो, आर्थिक संकट हो या अन्य सामाजिक समस्यायें, लोग हर दिन कई मांगों को लेकर सड़कों पर उतरते हैं।
G-20 की इस बैठक से पाकिस्तान को सबक़ सीखना चाहिए कि उसका दुष्प्रचार और धमकियां अब काम नहीं आने वाली हैं। जम्मू-कश्मीर पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय जो पाकिस्तान के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक समृद्ध है, उसकी सरकार को अपने लोगों के कल्याण पर काम करना चाहिए।