आज विश्व में भारत के साथ बड़े से बड़ा देश जुड़ना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत को विश्व में जिस स्थान पर लाकर खड़ा किया है, जो पहचान दिलाई है वो आने वाले कई वर्षों में शायद ही कोई दिला पाता है। आज पूरी दुनिया इंडिया के साथ रिश्ते जोड़ना चाहती है। हर एक क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है यही वजह है कि दुनिया इंडिया के साथ जुड़ना चाहती है। चाहे वो अमेरिका हो, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेना या फिर कोई अन्य बड़ा देश हो हर कोई पीएम मोदी के साथ जुड़ना चाहता है। अमेरिका भी कई बार यह कह चुका है कि वो आने वाले दिनों में भारत संग अपने रिश्ते को मजबूत करने की कोशिश करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए जर्मनी गए हुए हैं। पीएम मोदी बेहद ही साधारण व्यक्तित्व के घनी इंसान हैं। उन्हें दिखावे, पैसे या फिर ऐशो-आराम से कोई लेना देना नहीं। वो सिर्फ और सिर्फ अपने देश के लिए जी रहे हैं। वो हर घड़ी सिर्फ देश के हित के बारे में सोचते हैं। इसका अंदाजा हम इसी से लगा सकते हैं कि वो जर्मनी में जिस होटल में ठहरे हैं उसमें एसी तक नहीं है।
जी-7 शिखर सम्मेलन के साथ वह होटल भी दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रहा है जहां इसका आयोजन किया जा रहा है। जर्मनी के प्रसिद्ध श्लॉस एल्माऊ पैलेस में जिस जगह दुनियाभर के दिग्गज जुटे हैं, वहां न एसी (वातानुकूलन) की व्यवस्था है और न यहां कभी बेतहाशा भीड़ जुट सकती है। श्लॉस एल्माऊ पैलेस खूबसूरत आल्पस की पहाड़ियों के बीच बसा है औऱ ये लगभग 106 साल पुराना है। जर्मनी-ऑस्ट्रिया सीमा पर यह म्यूनिख से महज 100 किलोमीटर दूर है। श्लॉस एल्माऊ, एक तरह से बड़े आयोजनों का अड्डा है। यहां हर साल दो सौ से भी ज्यादा इवेंट होते हैं। होटल के मुख्य हिस्से का नाम है- द हाइड अवे (छिपने की जगह)। परिसर में मेहमानों के लिए जगह-जगह छतरियां और बेंच हैं। इसके अलावा कई जगहें ऐसी भी हैं जहां समय गुजारते हुए आराम से दूसरों पर नजरें बनाए रख सकते हैं, लेकिन आपको कोई आसानी से नहीं देख पाएगा।
होटल की मुख्य बातें
होटल में नहीं है AC
इस होटल में आम कमरों के अलावा 47 विश्वस्तीरय प्रेसिडेंशियल सुइट हैं। यहां ज्यादातर VIP ही रुकते हैं लेकिन इसके बाद भी एयर कंडीशनर नहीं लगे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि, आर्किटेक्चर ही ऐसा बनाया गया है कि ठंडी पहाड़ी हवा के जरिए एय़र कुलिंग सिस्टम काम करता रहे।
प्लास्टिक मुक्त
पृथ्वी और प्रकृति के लिए नुकसानदायक चीजों को यहां अनुमति नहीं दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्लास्टिक के खिलाफ हैं और श्लॉस एल्माई पैलेस एकप्लास्टिक मुक्त परिसर है।
ज्यादा भीड़ नहीं हो सकती जमा
इस होटल का नियम है कि, यहां एक बार में सिर्फ एक तिहाई कमरों को ही किराए पर दिये जाते हैं। दो तिहाई होटल हमेशा खाली रहता है। जिसके चलते यहां ज्यादा भीड़ जमा नहीं हो सकती।
कॉन्सर्ट हॉल और बेंच
इस होटल का कॉन्सर्ट हॉल हर साल कई बड़े विश्व स्तरीय आयोजनों का गवाह बनता है। यहां लगातार संगीत से जुड़े आयोजन होते हैं। इसके अलावा यहां एक विश्व प्रसिद्ध बेंच है, जहां बैठकर मेहमान फोटो जरूर लेते हैं। होटल में लाइब्रेरी, कपड़े और किताबों की दुकानें भी हैं।
इंडिया से है खास नाता
श्लॉस एल्माऊ पैलेस होटल का नाता इंडिया से भी जुड़ा है। दरअसल, इसकी सजावट में जगह-जगह हाथियों की कलाकृति दिखती है। इसके पीछे का एक रोचक किस्सा है। कई दशक पहले होटल के मालिक जोहान्स मुलर को अपने भारत दौरे के दौरान एक कपड़े पर हाथी बना दिखाई दिया। वे उसे अपने साथ ले गए। दार्शनिक मुलर को जब पता चला कि हाथी बुद्धिमत्ता और याददाश्त का प्रतीक होता है तो उन्होंने इसे होटल की साज-सज्जा में जगह देने का फैसला किया। सोफा, पर्दा, कप, कालीन में ऐसी आकृतियां सहज ही ध्यान खींचती हैं।
बता दें कि, इसे जोहान्स मुलर ने आर्किटेक्ट कार्ल सेटलर के साथ मिलकर बनाया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साल 1914 से 1916 के बीच इसपर अमेरिकी सेना ने कब्जा कर लिया था। हालांकि, मुलर के वंशजों ने साल 1961 में कानूनी लड़ाई के बाद फिर स्वामित्व हासिल किया। जोहान्स मुलर के पोते डायटमार मुलर श्लोस एलमाऊ के मौजूदा मालिक हैं।