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PM Modi की यात्रा के बीच अमेरिका की ओर से भारतीयों के लिए H-1B वीजा नियमों में ढील की घोषणा की संभावना

प्रतीकात्मक फ़ोटो

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की चल रही राजकीय यात्रा के बीच बाइडेन प्रशासन भारतीयों के लिए अमेरिका में रहना और काम करना आसान बनाने के लिए H-1B मानदंडों में ढील की घोषणा कर सकता है।

रॉयटर्स ने मामले से इस मामले के जानकार लोगों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी, “विदेश विभाग गुरुवार को जल्द ही घोषणा कर सकता है कि H-1B वीजा पर कुछ भारतीय और अन्य विदेशी कर्मचारी एक पायलट कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विदेश यात्रा किए बिना अमेरिका में उन वीजा को नवीनीकृत कर सकेंगे। आने वाले वर्षों में इसका विस्तार होगा।”

अमेरिकी H-1B वीजा धारकों में 73% आईटी इंजीनियर और डॉक्टर जैसे भारतीय कुशल कर्मचारी  शामिल हैं, जिनकी संख्या लगभग 442,000 है।

यह क़दम दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंधों को मज़बूत करने और चीन के बाहर एक वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के क़दम का हिस्सा है।

हर साल अमेरिकी सरकार कुशल विदेशी श्रमिकों की तलाश करने वाली कंपनियों को 65,000 H-1B वीजा उपलब्ध कराती है, साथ ही उन्नत डिग्री वाले श्रमिकों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा उपलब्ध कराती है। यह वीजा तीन साल तक चलता है और इसे अगले तीन साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

सूत्रों में से एक ने कहा कि इस पायलट कार्यक्रम में L-1 वीजा वाले कुछ कर्मचारी भी शामिल होंगे, जो किसी कंपनी के भीतर अमेरिका में किसी पद पर स्थानांतरित होने वाले लोगों के लिए उपलब्ध हैं।

भारत में अमेरिकी दूतावासों में वीज़ा आवेदनों के बैकलॉग को साफ़ करने की एक अलग पहल में भी तेज़ी आने की ख़बर है और पीएम मोदी की वर्तमान यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर आगे की चर्चा होने की उम्मीद है।

अमेरिका में कुछ H-1B वीजा धारक इस साल निकाले गये हज़ारों तकनीकी कर्मचारियों में से हैं, जिससे उन्हें भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें 60 दिनों की “अनुग्रह अवधि” के भीतर नये नियोक्ता ढूंढने होंगे या अपने देश लौटना होगा।

यह सीमित समय-सीमा महत्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है, जैसे चुनौतीपूर्ण नौकरी बाज़ार में नयी नौकरी ढूंढना और H1-H स्थिति को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक काग़ज़ी कार्रवाई को पूरा करना। संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) में प्रोसेसिंग में देरी इन चुनौतियों को बढ़ा सकती है, जिससे संभावित रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कुशल श्रम का नुक़सान हो सकता है।

फ़ाउंडेशन फ़ॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज़ (एफ़आईआईडीएस), जो कि छंटनी किए गए H-1B वीजा धारकों के लिए काम कर रहा है, उसने हाल ही में यूएससीआईएस को हाल ही में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की छंटनी के प्रभावों के बारे में लिखा था और समाचार एजेंसी के अनुसार,इस अनुग्रह अवधि को 60 दिनों तक की बढ़ाये जाने की मांग की गयी थी।

बाइडेन प्रशासन भारतीयों के लिए वीज़ा सुलभता में सुधार के लिए काम कर रहा है, लेकिन अमेरिकी आव्रजन नीति में सुधार के लिए कांग्रेस में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण इसमें बाधा आती रही है।

मार्च, 2020 में वाशिंगटन द्वारा COVID-19 महामारी के कारण दुनिया भर में लगभग सभी वीज़ा प्रोसेसिंग को रोकने के बाद अमेरिकी वीज़ा सेवायें अब भी बैकलॉग को क्लियर करने का प्रयास कर रही हैं। वीज़ा बैकलॉग के कारण कुछ परिवारों को लंबे समय तक अलग रहना पड़ा है।