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Japan में महायुद्ध की आहट,मिसाइल से लेकर खतरनाक हथियार तैनात करने को तैयार

चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए जापान तैयार

जापान (Japan) ने बीते दिन राष्‍ट्रीय सुरक्षा की नीति में बड़ा बदलाव किया है। ज्यादातार शांत देश का तमगा रखने वाले जापान ने अपने रक्षा बजट में एतिहासिक इजाफा किया है। जापान ने द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद पहली बार इस स्‍तर पर अपनी आक्रामकता की झलक दी है। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में युद्ध की आशंका और सुरक्षा पर बढ़ते खतरे के मद्देनजर अब यह देश भी खुद को बदलने में लग गया है। वहीं चीन की तरफ से बढ़ता सैन्‍य खतरा, उत्‍तर कोरिया (North Korea) की परमाणु हथियारों बढ़ाने की महत्‍वकांक्षा और रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से जापान ने तय किया है कि वह अपनी रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा और साथ ही अपनी क्षमताओं में भी इजाफा करेगा।

इस बीच जो सबसे बड़ा बदलाव जापान की तरफ से हुआ है वह है, काउंटर-स्‍ट्राइक यानी बदले की कार्रवाई की क्षमता से लैस होना। साथ ही अब उसके पास दुश्‍मन के अड्डे पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला करने की भी ताकत है। इसके अलावा किसी भी मुश्किल स्थिति में वह अमेरिका की मदद ले सकता है।

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यूक्रेन वॉर से सबक

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जापान यह समझ चुका था कि ताइवान पर चीनी कब्‍जा भी अब संभव है। इसके बाद से ही जापान को अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा करने के लिए जरूरी समर्थन मिलता जा रहा है। जो डॉक्‍यूमेंट जापान ने शुक्रवार को रिलीज किया है उसमें चीन को सीधे तौर पर खतरा करार नहीं दिया गया है लेकिन यह कहा गया है कि चीन की स्थिति और उसकी सैन्‍य गतिविधियां गंभीर मसला है। ऐसे में बड़े स्‍तर पर रणनीतिक चुनौती पेश की जा रही है। जापान और अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को यह तय करना होगा कि शांति कायम रहे।

शुक्रवार को प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा, ‘हम में से हर कोई इस बात से वाकिफ है कि हम अपने देश की सुरक्षा कर रहे हैं। यह बहुत ही जरूरी है क्‍योंकि हमनें यूक्रेन में देखा है कि क्‍या हुआ है। हम अब अपनी राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति को बदल रहे हैं।’ जापान ने तय किया है कि युद्ध के खतरे के बीच ही अब वह अमेरिका से टॉमहॉक मिसाइलें खरीदेगा। फरवरी में जब यूक्रेन पर रूस ने हमला किया तो वहीं से जापान ने अपनी सुरक्षा नीति में बदलाव का फैसला कर लिया था।