इस समय पाकिस्तान (Pakistan) की आर्थिक हालत बेहद खराब है। लोगों के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए आटा तक नहीं है और आटा खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं लेकिन तब भी कई लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है। सब्जियों से लेकर तमाम खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं और कमरतोड़ महंगाई ने पाकिस्तान की जनता को परेशान कर रखा है। वहीं अब तक पाकिस्तान IMF के भरोसे बैठा हुआ था ताकि उसे लोन मिल जाये लेकिन अब उसकी इस उम्मीद पर भी पानी फिरते नजर आ रहा है। लेकिन मुल्क में लगातार महंगाई बढ़ते देख पाकिस्तान (Pakistan) लोन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की कई शर्तों को मानने को तैयार हो गया है। इस बीच IMF की पाकिस्तान के सामने एक नई डिमांड सामने आई है।
IMF ने पाकिस्तान को महंगाई से लड़ने के लिए अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने को कहा है। हाल ही में हुई स्टाफ लेवल मीटिंग के दौरान IMF ने यह डिमांड रखी थी। पाकिस्तान स्टेट बैंक ने यह नहीं बताया कि उन्हें ब्याजदर कितना बढ़ाने को कहा गया है। लेकिन ये कहा गया कि आईएमएफ आक्रामक तरीके से इसमें बढ़ोतरी का दबाद डाल रहा था। IMF के साथ स्टाफ लेवल मीटिंग पर सहमति बनाने के लिए पाकिस्तान स्टेट बैंक को जल्द से जल्द निर्णय लेना होगा। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक अगर सरकार आईएमएफ की शर्तों को मान लेती है तो यह अक्टूबर 1996 में 19.5 फीसदी के ब्याज दर के रोकॉर्ड को तोड़ कर 20 फीसदी पहुंच जाएगी।
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PAK नहीं दिखना चाहता कमजोर
केंद्रीय बैंक अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक से पहले ब्याज दर में बढ़ोतरी का विरोध कर रहा था। एक अधिकारी के मुताबिक अगली बैठक 16 मार्च को होगी। पाकिस्तान महंगाई को कम करना चाहता है। लेकिन वह कोई ऐसा संकेत नहीं देना चाहता, जिससे लगे कि उसके केंद्रीय बैंक को IMF चला रहा है। वित्त मंत्रालय ने IMF को बताया था कि बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद महंगाई दर 29 फीसदी पहुंच सकती है। पाकिस्तान में महंगाई की स्थिति यह है कि दूध की कीमतों में कुछ ही दिनों में 30-40 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद पाकिस्तान के कई इलाकों में दूध 200 रुपए लीटर के दाम को पार कर गया। वहीं पाकिस्तान में चिकन के दाम की बात करें तो वह 700 रुपए किग्रा पर बिक रहा है।