Hindi News

indianarrative

पाकिस्तान के सिर बदनामी और फटेहाली का नया ताज, 23वीं बार IMF प्रोग्राम पूरा करने में फेल

पाकिस्‍तान 23 बार आईएमएफ के पास मदद के लिए पहुंचा है

पाकिस्तान पिछले कुछ महीनों से जैसे मानों खून के आंसू रो रहा है। मुल्क में महंगाई आवाम की कमर तोड़ रही है। ऐसे में बुरे फंसे पाकिस्‍तान के लिए अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से एक अच्‍छी खबर आई। संगठन देश को तीन अरब डॉलर की रकम मदद के तौर पर देने के लिए राजी हो गया है। एक स्‍टैंडबाय एग्रीमेंट के तहत आईएमएफ ने स्‍टाफ लेवल समझौते को मंजूरी दी। जबकि इसका फैसला जुलाई में होगा कि पाकिस्‍तान को मदद मिलेगी या नहीं लेकिन निश्चित तौर पर यह उसके लिए एक अच्‍छी खबर है। हालांकि एक बार फिर पाकिस्‍तान, आईएमएफ का कोई भी प्रोग्राम पूरा करने में असफल रहा है। 30 जून को साल 2019 में शुरू किया गया आईएमएफ बेलआउट प्रोग्राम भी बिना किसी नतीजे के खत्‍म हो गया है।

नौ महीने का प्रोग्राम

तीन अरब डॉलर वाला नया और छोटी अवधि का प्रोग्राम अब पाकिस्‍तान के लिए आईएमएफ ने शुरू कर दिया है। वहीं 6.5 अरब डॉलर वाला कार्यक्रम असफल रूप से समाप्त हो गया। नौ महीने के समय के लिए पाकिस्‍तान को तीन अरब डॉलर मिलेंगे। देश फिलहाल डिफॉल्‍ट से बच गया है लेकिन यह स्थिति कब तक रहेगी यह बड़ा सवाल है। तेजी से गिरते मुद्राभंडार को स्‍टाफ लेवल एग्रीमेंट से कुछ सहारा मिल सकता है। साल 2019 में 6.5 अरब डॉलर वाले 23वें कर्ज प्रोग्राम को मंजूर‍ी मिली थी। आजादी के 75 साल में पाकिस्‍तान 23 बार आईएमएफ के पास मदद के लिए पहुंचा है।

ये भी पढ़े: कंगाल पाकिस्तान को मिल गई भीख, 3 अरब डॉलर का IMF ने दिया कर्ज

18 बार IMF ने दी छूट

पहली बार सन् 1958 में पाकिस्‍तान ने आईएमएफ (IMF) से मदद मांगी थी यानी आजादी के ठीक 11 साल बाद। 18 बार उसे आईएमएफ की तरफ से छूट दी गई है। सन् 1990 के बाद से मुल्‍क ने 11 बार अंतरराष्‍ट्रीय संगठन से मदद मांगी। आईएमएफ अधिकारी नाथन पोर्टर ने इस नए समझौते का ऐलान किया। उन्‍होंने कहा कि नया एग्रीमेंट साल 2019 के विस्तारित फंड सुविधा-समर्थित कार्यक्रम पर आधारित है।

आर्थिक संकट गहरा रहा है

पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। देश में मुद्रास्फीति दर मई में करीब 38 फीसदी रिकॉर्ड हुई है। देश पिछले कई सालों से अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए संघर्ष कर रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस स्तर तक गिर गया कि यह तीन हफ्ते से भी कम आयात को कवर कर सकता है। देश की राजनीतिक अस्थिरता ने भी बाजार को हिला दिया है। पिछले वर्ष साल की तुलना में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए में करीब 40 फीसदी की गिरावट हुई है।