पाकिस्तान की सत्ता लड़खड़ाती नजर आ रही है। कंगाली के आलम में इमरान खान को एक दिन भी सत्ता में बने रहना मुश्किल हो रहा है। इस बीच कहा जा रहा है कि उनकी कुर्सी जानी लगभग तय हो गई है। यह हम नहीं बल्कि खुद पाकिस्तान में दावा किया जा रहा है। क्योंकि, पाकिस्तान का संयुक्त विपक्ष खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है, जिसके बाद से उनकी कुर्सी पर तलवाट लटक रही है। अगले 24 या 48 घंटे इमरान खान के लिए काफी संघर्षभरा रहने वाला है। इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही साफ हो जाएगा कि इमरान का राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। सरकार के चार सहयोगी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) (PMLQ), मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (MQMP), बलूचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) और ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (GDA) जल्द ही अपना फैसला सुना सकती हैं।
इन्हीं सहयोगी दलों के फैसले के बाद यह तय होगा कि खान पीएम पद पर बने रहेंगे या नहीं। अगर ये सभी विपक्ष के साथ जाने का फैसला लेते हैं, तो इमरान खान का प्रधानमंत्री सफर यहीं तक रह जाएगा। हालांकि, इमरान खान अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं कि उनकी कुर्सी बची रही है। लेकिन विपक्षी दल अभी सरकार के तीन सहयोगी दलों पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) (PMLQ), बलूचिस्तान अवामी पार्टी (BAP) और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (MQMP) के साथ बातचीत कर रहा है। ताकि अविश्वास प्रस्ताव को सफल बनाया जा सके।
गौरतलब हो कि, इस सप्ताह की शुरुआत में, पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग 100 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असंबली सचिवालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। नेताओं ने आरोप लगाया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है। इसलिए इमरान खान को सरकार में बने रहने का अधिकार नहीं है। 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में, विपक्ष को प्रधान मंत्री इमरान खान को बाहर करने के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता है। इमरान की पार्टी पीटीआई में 155 सदस्य और गठबंधन सहयोगियों के 23 सदस्य शामिल हैं। विपक्ष के पास 163 सदस्य हैं। माना जा रहा है सहयोगी दलों के 23 सदस्य अपना समर्थन विपक्ष को दे सकते हैं। ऐसे में इमरान खान की कुर्सी जानी लगभग तय हो गई है। वैसे भी जनता इस वक्त इमरान खान की जगह दूसरे विकल्प की तलाश में है। साथ ही पाकिस्तानी आर्मी भी नहीं चाहति ही इमरान खान सत्ता में बने रहे।