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इमरान खान का दम घोंट रहा ‘नियाजी’ शब्द- 1971 की जंग में सरेंडर करने वाले से खास कनेक्शन

Imran Khan Connection With Niazi

Imran Khan Connection With Niazi: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जब भी नियाजी (Imran Khan Connection With Niazi) कह कर बुलाया जाता है वो चीढ़ जाते हैं। दरअसल, नियाजी शब्द पाकिस्तान में एक बेइज्जती और किसी गाली से कम नहीं है। ये शब्द पाकिस्तान को बार-बार उसकी हार को याद दिलाती है और ऐसे शख्स की जिसने भारते के आगे घुटने टेक दिये। सन् 1971 की जंग को 51 साल हो गये और इसी जंग में पाकिस्तान ने भारत के आगे जिस तरह से घुटने टेके थे उसे इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज कर लिया गया। बात16 दिसंबर 1971 की है, जब ये जंग खत्म हुई। इसी दिन पाकिस्‍तान आर्मी के ईस्‍टर्न आर्मी कमांडर ले. जनरल अब्‍दुल्‍ला खान नियाजी (Imran Khan Connection With Niazi) ने 90 हजार सैनिकों के साथ भारत के सामने हथियार डाल दिए थे। नियाजी ने हार स्वीकार की और देश के सम्मान को गंवा दिया। साल 2018 में जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने तो इस नाम का खूब जिक्र हुआ। नियाजी नाम के साथ शर्म जुड़ी हुई है औऱ यही शर्म इमरान (Imran Khan Connection With Niazi) के लिए बेइज्जती बन जाती है। अब एक बार फिर से नियाजी शब्द जोर पकड़ने लगा है

भारत ने किया इमरान खान और नियजी के रिश्तों का खुलासा
भारत की विदेश अधिकारी विदिशा मैत्रा ने साल 2019 में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में पूरी दुनिया के सामने इमरान खान और नियाजी के रिश्‍तों का खुलासा किया। पाकिस्‍तान को भारत की तरफ से जवाब देते हुए मैत्रा ने इमरान खान को संबोधित किया। यह पहली बार था जब किसी देश के अधिकारी की तरफ से पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम को इमरान खान नियाजी कहकर संबोधित किया गया था। इमरान ने पहली बार चुनाव जीता था तो कई लोगों का लगा था कि वह जनरल नियाजी के भतीजे हैं। नियाजी जो कि पूर्वी पाकिस्‍तान के आखिरी गर्वनर भी थे, उनके साथ इमरान को कोई ताल्‍लुक नहीं है। लेकिन फिर भी उनका जिक्र इस नाम के साथ होता आया है।

मियंवाली के नियाजी पठान हैं इमरान खान
इमरान खान के पिता इकरामुल्ला खान नियाजी पेशे से सिविल इंजीनियर थे और वो उसी जाति से आते थे जिसका ताल्लुक जनरल नियाजी से था। खान के पिता इकरामुल्ला खान पंजाब के मियांवली के रहने वाले थे और मियांवली में जो नियाजी रहते हैं वो खुद को पूर्वी अफगानिस्तान से मियांवली से आए पठान बताते हैं। करीब चार से पांच सदी पहले नियाजी पंजाब के मियांवली आए थे। दिलचस्प बात ये है कि, अफगानिस्तान में ऐसे लोग जिना उपनाम नियाजी है वो फारसी बोलने वाले तजाकिस्तान के लोग हैं न कि अफगानिस्तान के पठान।

किसी गाली से कम नहीं है नियाजी, पाकिस्तानियों को याद आती है अपनी हार
इमरान खान खुद मियांवली की एक रैली में यह कह चुके हैं कि, उन्हें इमरान खान की जगह इमरान नियाजी बुलाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि, अगर देश के डकैत उन्हें इमरान नियाजी बुलाते हैं, तो उन्‍हें अच्‍छा लगेगा। 20 अगस्‍त 2018 को इमरान खान ने कैबिनेट डिविजन को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें उन्‍होंने निर्देश दिया था कि उन्‍हें आधिकारिक संपर्क में इमरान खान से ही संबोधित किया जाए न कि उनके पूरे नाम इमरान अहमद खान नियाजी बुलाया जाए। नियाजी को दरअसल पाकिस्‍तान में एक गाली की तरह समझा जाता है और इसलिए ही पूर्व पीएम इस नाम को छिपाते हैं। नियाजी, पाकिस्‍तान को उसकी हार का अहसास कराता है। भारत संग 1971 की जंग में पाकिस्तान के आर्मी कमांडर ले. जनरल अब्‍दुल्‍ला खान नियाजी ने आत्मसमर्पण कर हथियार डाल दिया था इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान, पाकिस्तान से आजाद हुआ और बांग्लादेश बना। हार की जांच के लिए देश में एख कमीशन बना था और इसमें नियाजी को दोषी ठहराया गया। जनरल नियाजी ने कहा था कि वह फौज का एक छोटा सा हिस्सा थे और इसलिए ही उन्होंने यह फैसला लिया था। नियाजी ने वही या इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर साइन किया था जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर त का ऐलान कर दिया था। इसके बाद जनरल नियाजी को भारत ने युद्ध बंदी बना लिया था। हालांकि, कुछ दिनों बाद उन्हें रिहा भी कर दिया गया था। युद्ध के बाद जनरल नियाजी को पाकिस्‍तानी सेना से हटा दिया गया। उन्‍हें सभी फायदे और पेंशन भी नहीं दी गई। इसके बाद से नियाजी शब्‍द हार का प्रतीक बन गया था।

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