India-Japan Relation: भारत और जापान के बीच बढ़ती दोस्ती के हाथ से बीजिंग बैचान है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जापान में जब प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मिले तो चीन की भौहें चढ़ी हुई थी। चीन अंदर ही अंदर सोच रहा होगा कि उसके खिलाफ क्या नई रणनीति बन रही है। भारत और जापान (India-Japan Relation) के बीच रक्षा और विदेश मंत्रियों की दूसरी 2 प्लस 2 लेवल वार्ता ने चीन की रातों की नींद छीन ली है। पहली बार जापान और भारत (India-Japan Relation) की वायु सेना आसमान में उड़ान भरेंगी।
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दरअसल, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये पर भारत और जापान पैनी नजर रखे हुए हैं। यही वजह है कि दोनों देश जल्द ही पहली बार हवा में दहाड़ेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को अपने जापानी समकक्ष यासुकाजु हमादा से अलग से भी मिले। दोनों देशों ने रक्षा साझीदारी और बढ़ाने पर जोर दिया जो मुक्त, खुला और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा। इस दौरान एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज पर मुहर लगी। दोनों देशों के लड़ाकू विमान जल्द ही गरजेंगे और युद्ध कौशल का मुजाहिरा करेंगे। रक्षा के क्षेत्र में सहयोग और मजबूत किये जाएंगे। जापान-भारत मिलकर अत्याधुनिक वेपन सिस्टम विकसित करेंगे।
भारत और जापान की आर्मी पहले से ही नियमित तौर पर ‘धर्म गार्जियन’ एक्सर्साइज करती रही हैं। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच भी JIMEX (Japan-India Maritime Bilateral Exercise) युद्धाभ्यास होता रहा है। इसके अलावा जापानी नेवी ने इस साल मार्च में विशाखापत्तनम में हुए बहुराष्ट्रीय ‘मिलन नौसैनिक अभ्यास’ में भी हिस्सा लिया। जापान पहले से ही भारत-अमेरिका के बीच ‘मालाबार’ नौसैनिक युद्धाभ्यास का हिस्सा है। 2015 में वह इसमें शामिल हुआ। अब तो ऑस्ट्रेलिया भी मालाबार एक्सर्साइज का हिस्सा है। अब एयरफोर्स भी पहली बार एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज करने जा रही है जो दोनों देसओं के बीच मजबूत होते रक्षा संबंधों को बता रही है। ये चीन को साफ संदेश है कि, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके एक गलत कदम का करारा जवाब मिलेगा।
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चीन को ये सीधी चेतावनी है। क्योंकि, टोक्य ने कहा है कि, वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हर विकल्प को आजमाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें कांउंटर स्ट्राइक कैपबिलिटीज भी शामिल है। बयान में कहा गया है, ‘जापानी पक्ष ने अगले 5 साल के भीतर अपनी रक्षा क्षमताओं को पूरी तरह मजबूत करने का अडिग इरादा जाहिर किया है। इसके लिए रक्षा बजट में खासी बढ़ोतरी की जाएगी।