India-Pakistan Relations: भारत हमेशा से कहता आया है कि सीमा पार आतंकवाद के खात्मे के बिना पाकिस्तान से कोई भी द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। उधर पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का सबसे बड़ा पीड़ित देश बताता है। पाकिस्तान में विदेश मामलों पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति ने सिफारिश की कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे की राजधानी में उच्चायुक्तों को बहाल करना चाहिए। पाकिस्तान वापस से भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध बहाल करना चाहता है। तंग हाल पाकिस्तान के लिए देश चलाने की चुनौतियों की कोई सीमा नहीं है। ऐसे में उसे भारत की याद आ रही है।
पाकिस्तान की संसदीय समिति ने की अपील
पाकिस्तानी संसद नेशनल असेंबली की विदेश मामलों की स्थायी समिति ने बुधवार को सिफारिश की थी कि पाकिस्तान और भारत (India-Pakistan Relations) दोनों को एक-दूसरे की राजधानी में उच्चायुक्तों को बहाल करना चाहिए। नेशनल असेंबली सचिवालय के आधिकारिक बयान के अनुसार, मोहसिन डावर की अध्यक्षता में समिति को विदेश मंत्री की हाल की भारत यात्रा के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान पाकिस्तान सरकार ने बताया कि एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद में पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भागीदारी से एससीओ की प्रासंगिकता की फिर से पुष्टि की। पाकिस्तान ने बताया कि वह एससीओ के जरिए क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि और कनेक्टिविटी को महत्व देता है।
यह भी पढ़ें: Modi ने चली ऐसी चाल, मुँह तकती रह गई Pakistan सरकार! भारत ने किया यह बड़ा ऐलान
पाकिस्तान सरकार ने संसद की विदेश समिति को बताया कि एससीओ के सदस्य देश द्विपक्षीय संबंधों को एससीओ के मंच पर नहीं लाते हैं। इसके बावजूद पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने एससीओ के मंच से आतंकवाद का रोना रोया था। इतना ही नहीं, उन्होंने कश्मीर पर भी अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का जिक्र किया। बिलावल ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों को मिलकर बातचीत करनी चाहिए। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिलावल भुट्टो जरदारी को एससीओ के मंच पर ही खूब सुनाया। जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंक की इंडस्ट्री का प्रवक्ता और उसे बढ़ावा देने वाला बताया और कहा कि पाकिस्तान से बातचीत जैसी कोई स्थिति नहीं बन रही है।
क्या करेगी मोदी सरकार?
भारत और पाकिस्तान (India-Pakistan Relations) के बीच सबसे ताजा कूटनीतिक मुलाकात मई की शुरुआत में गोवा में आयोजित एससीओ की बैठक के दौरान हुई थी। एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत आए थे। 2016 के बाद ये पहला मौका था जब पाकिस्तान की तरफ से कोई मंत्री भारत आया था। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई थी। उधर भारत सरकार भी आतंकवाद पर रोक के बिना वार्ता करने को तैयार नहीं है। ऐसे में कई विशेषज्ञों की राय है कि भारत और पाकिस्तान में फिलहाल सामान्य राजनयिक संबंध बहाल नहीं हो सकते हैं।