रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया दो खेमों में बंटी हुई है। कोई युक्रेन के साथ पश्चिमी देशों के सुर में सुर मिला रहा है तो कई देश रूस के साथ हैं। इसके साथ ही कई देश ऐसे भी हैं जिन्होंने ना तो युक्रेन के पक्ष में और ना ही रूस के खिलाफ बोला है। इनमें से भारत एक है। इसके साथ ही यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका और नाटो ने साफ कहा है कि जो भी देश रूस का साथ देंगे या उसके साथ व्यापार करेंगे वो उस देश को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे। जिसके बाद से जितने भी छोटे-मोटे देश हैं जो रूस संक व्यापार करते थे उन्होंने नाता तोड़ दिया है। भारत ने इस जंग को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।
दरअसल, यूक्रेन के शहर बुचा में सैकड़ों आम लोगों के मारे जाने पर भारत ने चिंता जताई है और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने बुचा की घटना को तकलीफदेह बताया है। भारत ने कहा है कि बुचा से आ रहीं आम नागरिकों की हत्याओं की खबरें परेशान करने वाली हैं और इनकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, बुचा से हाल ही में आई आम लोगों की हत्याओं की खबरें बेहद तकलीफदेह हैं। हम इन हत्याओं की बिना किसी लाग-लपेट के निंदा करते हैं और एक निष्पक्ष जांच का समर्थन करते हैं।
इसके साथ ही भारत ने एक बार फिर यूक्रेन में तुरंत हिंसा रोकने की अपनी अपील भी दोहराई। यूक्रेन की राजधानी कीव के पास स्थित बुचा शहर से बीते सप्ताहांत पर ऐसी तस्वीरें और वीडियो जारी हुए थे जिनमें सड़कों पर इधर-उधर बिखरे शवों को देखा जा सकता था। यूक्रेन का आरोप था कि शहर पर कब्जे के दौरान रूसी सैनिकों ने ये हत्याएं कीं। रूस इस आरोप को गलत बताता है और उसका कहना है कि यूक्रेन के उग्रवादी झूठा प्रचार कर रहे हैं।
भारत ने कहा है कि, युक्रेन के हालात पर वह बेहद चिंतित है। त्रिमूर्ति ने कहा, इस संकट के कारण विकासशील देशों में भोजन और ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं। जब मासूम जानों को खतरा हो तो कूटनीति ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए
वहीं, यूक्रेन द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का खंडन करते हुए रूस ने कहा है कि, यूक्रेनी सेना खुद आम नागरिकों पर हमल कर रही हैं। रूसी प्रवक्ता दमित्री पेश्कोव ने यूक्रेन द्वारा दिखाई गईं तस्वीरों को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि, रक्षा मंत्रालय के हमारे विशेषज्ञों ने वीडियो के फर्जी होने के संकेत देखे हैं। हम आग्रह करते हैं कि दुनियाभर के नेता बिना सोचे समझे आरोप ना लगाएं और कम से कम हमारा तर्क सुनें।