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तालिबान को मान्‍यता देने के लिए मचल रहे ये दो देश, भारत ने किया आगाह

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अफगानिस्‍तान की सत्‍ता में आने के बाद से तालिबान को लेकर भारत चौकस बना हुआ है तो पाकिस्‍तान, चीन, तुर्की समेत कई देश इसे लेकर पूरी दुनिया में लॉबिंग करते भी नजर आ रहे हैं। इस बीच यहां नई सरकार के गठन के बाद गुटबाजी की खबरें भी हैं, जिसमें अहम मुद्दा मंत्रालयों और शीर्ष पदों को हक्‍कानी नेटवर्क और कंधार के तालिबान समूह को दिए जाने का है। बताया जा रहा है कि तालिबान के टॉप लीड‍रशिप में अनबन की इन खबरों के बीच पाकिस्‍तान और कतर ने यहां अपने 'दूत' भी भेजे हैं।

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पाकिस्‍तान और कतर… तालिबान के लिए लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं। माना जा रहा हैं कि ये दोनों तालिबान कैबिनेट को मान्‍यता देने वाले दुनिया के पहले देश हो सकते हैं। तालिबान की 'व्‍यवस्‍था' को मान्‍यता देने को लेकर भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय समूह को आगाह किया है। साथ ही पाकिस्‍तान की भूमिका और तालिबान को प्रभावित करने की इसकी कोशिशों को लेकर भी चिंता जताई है।तालिबान को भारत की बेहद जरुरत हैं। यही वजह हैं कि वो भारत से बार-बार बात करने की कोशिश कर रहा हैं। सरकार बनाने के बाद तालिबान ने भारत से अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को फिर से शुरू किया जाए।

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इसके लिए पहली बार तालिबान ने भारत को औपचारिक खत लिखा है। अफगान सिविल एविएशन अथॉरिटी ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन से अफगान नैशनल कैरियर्स को दोनों देशों के बीच उड़ाने शुरू करने की इजाजत देने की अपील की है। रिपोर्ट के मुताबिक, डीजीसीए को लिखे खत पर अफगानिस्तान के कार्यकारी उड्डयन मंत्री अल्हाज हमीदुल्ला अखुंदजादा का दस्तखत है। डीजीसीए चीफ अरुण कुमार को लिखे खत में कहा गया है, 'जैसा कि आपको पता है कि हाल ही में अमेरिकी सैनिक देश छोड़ते वक्त काबुल एयरपोर्ट को क्षतिग्रस्त और बेकार करके गए हैं। कतर की तकनीकी सहायता से एयरपोर्ट फिर से काम कर रहा है।